LNG पर राहत की खबर! अमेरिकी LNG से हटेगा टैक्स – CNG और PNG हो सकते हैं सस्ते, आम जनता को मिलेगा बड़ा फायदा I 2025

मान लीजिए आप रोज़ अपने घर में पाइप से आने वाली गैस यानी पीएनजी का इस्तेमाल करते हैं, या फिर सीएनजी से चलने वाली गाड़ी चलाते हैं। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से बचने के लिए आपने गैस को चुना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गैस जो आपके घर तक पहुंचती है, उसका एक बड़ा हिस्सा विदेशी जमीन से आता है?

और उसमें भी अमेरिका से आने वाली गैस पर सरकार टैक्स लगाती है? अब सोचिए अगर यही टैक्स सरकार हटा दे, तो क्या आपकी जेब पर असर पड़ेगा? क्या गैस सस्ती हो सकती है? यही सवाल आज हर किसी के मन में है, क्योंकि भारत सरकार अमेरिकी LNG—यानी लिक्विफाइड नेचुरल गैस—पर लगने वाला इम्पोर्ट टैक्स हटाने की तैयारी में है। ये फैसला ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दिशा बदलेगा, बल्कि देश के लाखों आम नागरिकों की रोजमर्रा की ज़िंदगी पर भी असर डाल सकता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में यह एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार अब इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है कि अमेरिका से Import होने वाली, LNG पर लगने वाला 2.5% बेसिक कस्टम ड्यूटी और 0.25% सोशल वेलफेयर सरचार्ज खत्म कर दिया जाए। इसके पीछे वजह सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि Diplomatic संतुलन भी है। डोनाल्ड ट्रंप के समय से ही अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी है। ऐसे में अमेरिका भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते और मजबूत करना चाहता है, और भारत भी यह संतुलन साधना चाहता है कि उसके व्यापारिक फायदे सुरक्षित रहें और global pressure से बचा जा सके।

इस समय भारत अमेरिका से जो LNG Import करता है, वह बाकी देशों जैसे यूएई और ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले महंगी पड़ती है, क्योंकि इन देशों के साथ भारत ने विशेष व्यापार समझौते किए हैं, जिसके तहत इनसे आने वाली LNG पर कोई टैक्स नहीं लगता। लेकिन अमेरिका से आने वाली गैस पर यह टैक्स लागू है, जिससे इसकी लागत बढ़ जाती है।

अगर सरकार इस पर टैक्स हटा देती है, तो यह गैस बाकी स्रोतों के मुकाबले सस्ती और Competitive हो जाएगी। इसका असर सिर्फ ऊर्जा कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देश के हर उस नागरिक तक पहुंचेगा जो CNG और PNG पर निर्भर है।

भारत वर्तमान में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा LNG Importer है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा Fiscal year के पहले 11 महीनों में भारत ने करीब 26 मिलियन टन LNG का Import किया, जिसकी कीमत 14 बिलियन डॉलर के आसपास रही। अगर इस गति से बढ़त जारी रही तो वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 27 से 28 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 20 से 25% तक हो सकती है, जो एक बड़ा हिस्सा है। इसका मतलब है कि अमेरिका से Import होने वाली LNG की कीमत में कोई भी बदलाव, सीधा भारत की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

International Energy Agency (IEA) का कहना है कि, 2023 से लेकर 2030 तक भारत में गैस की मांग में 60% तक का इजाफा हो सकता है। यही नहीं, इस दौरान LNG Import दोगुना तक हो सकता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि भारत समय रहते अपनी रणनीति को अपडेट करे और ऐसे स्रोतों की ओर झुके जो सस्ते और भरोसेमंद हों। अमेरिका, जो पहले ही भारत का दूसरा सबसे बड़ा LNG सप्लायर है, इस स्थिति में सबसे उपयुक्त विकल्प बन सकता है। लेकिन टैक्स की मौजूदगी इसकी क्षमता को सीमित कर रही है।

भारत की प्रमुख गैस कंपनी GAIL India Ltd ने अमेरिकी कंपनियों के साथ हर साल, 5.8 मिलियन टन LNG खरीदने के लिए Long term agreement किए हुए हैं। इसके अलावा GAIL अब अमेरिका में LNG प्लांट्स में हिस्सेदारी खरीदने पर भी विचार कर रही है। यह कदम तब और मजबूत हो जाता है जब यह खबर सामने आती है कि अमेरिका ने अब नए LNG Export प्रोजेक्ट्स पर से रोक हटा ली है। यानी अब अमेरिका और ज्यादा गैस उत्पादन और Export कर सकता है, और भारत इसका प्रमुख खरीदार बन सकता है।

लेकिन Global पटल पर सिर्फ भारत ही अमेरिका की ओर नहीं देख रहा। चीन, जो पहले अमेरिकी LNG का बड़ा ग्राहक था, अब ट्रेड वॉर के चलते अमेरिका से दूरी बना चुका है। चीन ने अमेरिकी LNG पर 15% का भारी भरकम टैरिफ लगा दिया है, जिससे उसकी लागत बहुत बढ़ गई है। ऐसे में अमेरिका को एक नया भरोसेमंद खरीदार चाहिए, और भारत इस रिक्त स्थान को भर सकता है। यह साझेदारी ना सिर्फ आर्थिक, बल्कि रणनीतिक भी है, क्योंकि दोनों देशों के संबंधों में ऊर्जा एक महत्वपूर्ण कड़ी बन रही है।

अब बात करते हैं आम आदमी की—जो सवाल सबसे ज़्यादा अहम है। क्या इस फैसले का कोई असर सीधा आपकी ज़िंदगी पर पड़ेगा? जवाब है—हां, लेकिन थोड़ा इंतज़ार करना होगा। LNG का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल PNG और CNG बनाने में होता है, जो सीधे तौर पर आम नागरिकों के घरों और वाहनों तक पहुंचती है। अगर LNG सस्ती होती है तो लंबे समय में CNG और PNG के दाम स्थिर या कम हो सकते हैं। हालांकि, यह तत्काल नहीं होगा, क्योंकि कीमतों में बदलाव Supply chain, distribution cost और सरकारी नीतियों के आधार पर होता है। लेकिन ऊर्जा कंपनियों पर लागत का दबाव घटेगा, जिससे वे उपभोक्ताओं को राहत देने की स्थिति में आ सकती हैं।

इसके अलावा, सरकार के लिए भी यह फैसला फायदेमंद हो सकता है। अगर LNG की कीमत कम होती है तो ऊर्जा सब्सिडी का बोझ भी घट सकता है। इससे सरकारी बजट में राहत मिलेगी, और उस पैसे को शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। साथ ही, यह भारत की हरित ऊर्जा की ओर बढ़ती यात्रा में एक मजबूत कदम साबित होगा, क्योंकि LNG पेट्रोल-डीजल के मुकाबले कहीं ज़्यादा स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन है।

LNG के Import टैक्स को हटाने का प्रस्ताव फिलहाल विचाराधीन है। अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जानकारों की मानें तो बातचीत अंतिम दौर में है और जल्द ही इस पर ठोस निर्णय लिया जा सकता है। जैसे ही यह फैसला आता है, इसका असर ऊर्जा कंपनियों, उपभोक्ताओं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति पर देखा जाएगा।

इस पूरी कवायद का मकसद सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और Global राजनीति में उसकी भूमिका को मजबूत बनाना है। अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष को संतुलित करना, Global टैरिफ युद्ध से बचना और देश में सस्ती और स्थायी ऊर्जा सुनिश्चित करना—यही वो लक्ष्य हैं जिन पर सरकार की नजर है।

तो अगली बार जब आप CNG स्टेशन पर लाइन में लगें या अपने घर के PNG बिल को देखें, तो यह जरूर याद रखें कि इसकी कहानी किसी एक शहर या कंपनी की नहीं, बल्कि global level की कूटनीति, व्यापार और रणनीति से जुड़ी हुई है। LNG सिर्फ गैस नहीं, अब ऊर्जा, राजनीति और जनता के भरोसे का मुद्दा बन चुकी है।

Conclusion:-

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