Incredible: Magnus Carlsen की शानदार कमाई ने रचा इतिहास – शतरंज के बादशाह की दौलत जानकर रह जाएंगे हैरान! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा खिलाड़ी, जो ना मैदान में दौड़ता है, ना गेंद को हिट करता है, ना भीड़ उसके लिए ताली बजाती है, फिर भी उसकी कमाई करोड़ों में होती है? क्या सच में कोई व्यक्ति सिर्फ दिमाग से खेलकर इतना अमीर बन सकता है जितना कोई क्रिकेट सुपरस्टार? अगर आपको लगता है कि शतरंज सिर्फ एक गंभीर और शांत खेल है, तो आप Magnus Carlsen को नहीं जानते।

क्योंकि इस खिलाड़ी ने न सिर्फ बोर्ड पर अपने विरोधियों को मात दी, बल्कि बिजनेस की दुनिया में भी कमाल कर दिखाया। लेकिन सवाल ये है कि क्या उनकी दौलत वाकई इतनी है कि वो क्रिकेट के बादशाहों को भी पछाड़ सकते हैं? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Magnus Carlsen का नाम आज शतरंज की दुनिया में किसी किंवदंती से कम नहीं है। कुछ लोग तो उन्हें अब तक का सबसे महान खिलाड़ी यानी ‘ऑल टाइम ग्रेट’ तक कह चुके हैं। उनकी FIDE रेटिंग 2,882 रही है, जो आज तक किसी और खिलाड़ी ने नहीं छुई। उनके खेल की गहराई, उनकी रणनीतियां और उनका आत्मविश्वास ही उन्हें खास बनाता है।

हाल ही में भारतीय खिलाड़ी डी गुकेश ने उन्हें एक चैंपियनशिप में हराया था, लेकिन इससे Magnus Carlsen की छवि पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। उनका रुतबा आज भी उतना ही ऊंचा है, जितना कभी विश्वनाथन आनंद या गैरी कास्पारोव का रहा। लेकिन मैग्नस केवल शतरंज के खिलाड़ी नहीं हैं। वे एक बिजनेसमैन भी हैं और उनकी नेट वर्थ इसका प्रमाण है। प्लेयर बायो और सेलिब्रिटी नेट वर्थ जैसी वेबसाइट्स के मुताबिक, साल 2024 में उनकी दौलत 25 मिलियन डॉलर से 50 मिलियन डॉलर के बीच आंकी गई थी। यानी भारतीय रुपये में लगभग 210 करोड़ से लेकर 420 करोड़ तक। और ये सिर्फ शतरंज खेलने से नहीं आया।

हालांकि, Magnus Carlsen की कमाई का एक बड़ा हिस्सा शतरंज टूर्नामेंट्स से ही आता है। वे हर साल अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं, जिनमें जीतने पर मोटी इनामी राशि मिलती है। उदाहरण के लिए, हाल ही में उन्होंने चेसएबल मास्टर्स टूर्नामेंट जीता और इसमें उन्हें करीब 30,000 डॉलर मिले। लेकिन इनाम से भी बड़ा सोर्स है—उनका खुद का स्टार्टअप और ब्रांड वैल्यू।

उन्होंने 2013 में अपने दोस्तों एंडर्स ब्रांड्ट और एस्पेन एग्डेस्टीन के साथ मिलकर ‘प्ले मैग्नस ग्रुप’ की स्थापना की। शुरुआत एक मोबाइल ऐप ‘प्ले मैग्नस’ से हुई, जिसमें लोग खुद को मैग्नस के विरुद्ध खेलते हुए अनुभव कर सकते थे। यह ऐप बहुत जल्दी पॉपुलर हुआ और फिर ‘मैग्नस ट्रेनर’ और ‘किंगडम ऑफ चेस’ जैसे दूसरे ऐप्स भी लॉन्च हुए।

2019 में उनकी कंपनी का chess 24 के साथ विलय हो गया, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शतरंज कंपनियों में से एक बन गई। इस ग्रुप की मार्केट वैल्यू अब 100 मिलियन डॉलर से भी अधिक आंकी जाती है। Magnus Carlsen के पास इस कंपनी में ‘मैग्नसचेस’ नाम की होल्डिंग कंपनी के ज़रिए हिस्सेदारी है, जिसमें उनकी खुद की 85% और उनके पिता की 15% हिस्सेदारी है। अगर मार्केट वैल्यू के हिसाब से देखें, तो मैग्नस की हिस्सेदारी अकेले 10 से 20 मिलियन डॉलर की है।

इसके अलावा, उन्होंने 2019 में नॉर्वे में ‘ऑफरस्पिल चेस क्लब’ की शुरुआत की, जहां वे चेयरमैन भी हैं। वे नॉर्वे के युवाओं को शतरंज की ट्रेनिंग देने और ग्लोबल स्तर पर ले जाने के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं। उन्होंने न केवल खुद की ब्रांडिंग की, बल्कि शतरंज को आम लोगों के बीच भी पहुंचाया।

अब सवाल यह है कि क्या उनकी यह कमाई किसी क्रिकेटर की बराबरी कर सकती है? भारत जैसे देश में क्रिकेट का क्रेज किसी धर्म से कम नहीं है। यहां खिलाड़ियों की फैन फॉलोइंग करोड़ों में है, ब्रांड डील्स और विज्ञापन से मोटी कमाई होती है। उदाहरण के लिए, विराट कोहली की नेट वर्थ 1,050 करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है। वहीं रोहित शर्मा की नेट वर्थ लगभग 210 करोड़ रुपये मानी जाती है। इसके अलावा उन्हें बीसीसीआई से सालाना 7 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट और आईपीएल से भी करोड़ों की आय होती है।

अगर तुलना की जाए तो Magnus Carlsen की दौलत रोहित शर्मा के आसपास जरूर है, लेकिन विराट कोहली से काफी पीछे। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि मैग्नस की कमाई पूरी तरह उनके टैलेंट, ब्रांड और ग्लोबल दर्शकों पर टिकी है। वे एक ऐसे खेल के प्रतिनिधि हैं जिसे ओलंपिक में जगह नहीं मिलती, जिसका प्रसारण बहुत सीमित होता है, और फिर भी उन्होंने वहां से करोड़ों की संपत्ति बनाई है।

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि शतरंज उनके लिए सिर्फ खेल नहीं, बल्कि मिशन है। वे चाहते हैं कि शतरंज को एक ग्लोबल स्पोर्ट की तरह देखा जाए। और इसी दिशा में वे लगातार काम कर रहे हैं—चाहे वह ऑनलाइन टूर्नामेंट हों, चेस ऐप्स हों या फिर यूट्यूब पर शतरंज की स्ट्रैटेजी का प्रचार।

Magnus Carlsen का सफर भी बेहद प्रेरणादायक है। उनका जन्म 30 नवंबर 1990 को नॉर्वे के टॉन्सबर्ग में हुआ था। उनके पिता एक शौकिया शतरंज खिलाड़ी थे, और उन्होंने ही 5 साल की उम्र में मैग्नस को इस खेल से परिचित कराया। 8 साल की उम्र में मैग्नस ने पहली बार नॉर्वेजियन चेस चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और वहीं से शुरू हुई उनकी असाधारण यात्रा।

2004 में सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्होंने ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया। उस वक्त उन्होंने दुबई ओपन शतरंज चैंपियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। अमेरिकी खिलाड़ी लुबोमिर कावालेक ने तब उन्हें ‘शतरंज का मोत्ज़ार्ट’ कहा था।

15 की उम्र में वे नॉर्वे के राष्ट्रीय चैंपियन बन गए और 19 की उम्र में, FIDE की विश्व रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंचे। 2013 में उन्होंने भारत के विश्वनाथन आनंद को हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बने। इसके बाद उन्होंने कई खिताब अपने नाम किए और 2014 में वो वक्त आया जब उनके पास तीनों खिताब एकसाथ थे—वर्ल्ड चैंपियन, रैपिड चैंपियन और ब्लिट्ज चैंपियन। ये कारनामा उन्होंने 2019 और 2022 में भी दोहराया।

अब तक Magnus Carlsen 5 बार वर्ल्ड चैंपियन, 5 बार रैपिड चेस चैंपियन और 7 बार ब्लिट्ज चेस चैंपियन बन चुके हैं। 2023 में उन्होंने भारतीय खिलाड़ी रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा को हराकर पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। वे 2011 से लगातार नंबर 1 रैंकिंग पर बने रहे हैं और उनकी उच्चतम रेटिंग 2,882 अब तक कोई नहीं तोड़ पाया।

2025 की शुरुआत में उन्होंने ‘टेक टेक टेक’ नामक एक नया ऐप लॉन्च किया है, जो चेस के अलावा जनरल स्ट्रैटेजी और ब्रेन ट्रेनिंग को बढ़ावा देता है। इससे उनकी कमाई में और इज़ाफा हुआ है, और अनुमान है कि साल के अंत तक उनकी नेट वर्थ 60 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।

तो क्या Magnus Carlsen सिर्फ एक शतरंज खिलाड़ी हैं? या फिर एक ब्रांड, एक बिजनेस टायकून और एक ग्लोबल आइकन? शायद अब वक्त आ गया है कि हम शतरंज को केवल ‘दिमाग का खेल’ मानना बंद करें और इसे भी एक ग्लोबल प्रोफेशन की तरह देखना शुरू करें। Magnus Carlsen ने यह साबित कर दिया है कि 64 खानों के खेल से भी वो ऊंचाई पाई जा सकती है, जो आज तक सिर्फ क्रिकेट या फुटबॉल जैसे स्पोर्ट्स में संभव मानी जाती थी। उनके सफर ने यह दिखा दिया है कि असली कमाई सिर्फ मैदान में नहीं, दिमाग में भी होती है।

Conclusion

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