नमस्कार दोस्तों, सोचिए, एक ऐसी दुनिया जहां सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाली हर खबर बिना किसी Fact-checking के सच मानी जाए। जहां अफवाहें और झूठी खबरें बिना किसी रोक-टोक के वायरल होती रहें और प्लेटफॉर्म्स पर उन्हें रोकने वाला कोई सिस्टम ही न हो। क्या यह सोशल मीडिया का भविष्य बनने जा रहा है?
हाल ही में, Meta ने अपने फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को बंद करने का ऐलान कर दिया। इस फैसले ने इंटरनेट की दुनिया में खलबली मचा दी है। Meta, जो Facebook, Instagram और Threads जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का संचालन करती है, ने इस फैसले के पीछे एक नया तर्क दिया है। अब कंपनी ने “Community Notes” नामक एक नया फीचर लॉन्च करने का निर्णय लिया है।
Meta के अनुसार, यह बदलाव प्लेटफॉर्म पर ज्यादा Transparency और यूजर की भागीदारी को बढ़ाने के लिए किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या यह बदलाव सच में सूचनाओं को Transparent बनाएगा या फिर यह कंपनी की जिम्मेदारियों से बचने का एक और तरीका है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
Meta के “Community Notes” मॉडल में क्या बदलाव किए गए हैं, और इसका उद्देश्य क्या है?
Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में “Community Notes” नामक एक नई प्रणाली की घोषणा की, जो उनके पुराने फैक्ट-चेकिंग मॉडल को पूरी तरह बदल देगी। इस नए मॉडल में किसी पोस्ट की Facticity जांचने की जिम्मेदारी अब, professional फैक्ट-चेकिंग एजेंसियों की बजाय आम यूजर्स को दी जा रही है।
मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि तीसरे पक्ष के फैक्ट-चेकर्स के जरिए कंटेंट मॉडरेशन में अक्सर पक्षपात देखा गया है, खासतौर पर अमेरिका में। उनके मुताबिक, यह नई सामुदायिक प्रणाली प्लेटफॉर्म पर Transparency और संतुलन लाने में मदद करेगी। Community Notes सिस्टम के तहत अब किसी भी पोस्ट को प्लेटफॉर्म के यूजर्स द्वारा, फैक्ट-चेक किया जा सकेगा और उस पर अपनी टिप्पणियां जोड़ी जा सकेंगी।
इस मॉडल में यूजर्स को अधिकार होगा कि वे किसी पोस्ट की सच्चाई पर सवाल उठा सकें और उस पर अपने व्यूज जोड़ सकें। यह पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक होगी, जिससे बाकी यूजर्स भी इसे देख सकेंगे और समझ सकेंगे कि क्यों किसी पोस्ट को भ्रामक या सही ठहराया जा रहा है।
Meta की पुरानी फैक्ट-चेकिंग प्रणाली में क्या खामियां थीं?
Meta की पुरानी फैक्ट-चेकिंग प्रणाली 2016 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य सोशल मीडिया पर फैलने वाली भ्रामक और झूठी खबरों को रोकना था। इस मॉडल के तहत, PolitiFact और FactCheck जैसे स्वतंत्र तीसरे पक्ष के संगठनों को शामिल किया गया था, जो पोस्ट की सत्यता की जांच करते थे।
हालांकि, इस प्रणाली की कई खामियां सामने आईं। आलोचकों का कहना था कि ये फैक्ट-चेकिंग एजेंसियां अक्सर राजनीतिक रूप से पक्षपाती रही हैं। कई बार, किसी पोस्ट को गलत करार देने का कारण भी स्पष्ट नहीं किया जाता था, जिससे यूजर्स के बीच भ्रम पैदा होता था। इसके अलावा, फैक्ट-चेकिंग प्रक्रिया पूरी तरह से तीसरे पक्ष के संगठनों के हाथों में थी, जिससे आम यूजर्स को किसी भी पोस्ट की सत्यता को चुनौती देने का मौका नहीं मिलता था।
मार्क जुकरबर्ग ने इन्हीं कमियों को ध्यान में रखते हुए यह तर्क दिया कि Community Notes जैसे सामुदायिक मॉडल से, ज्यादा Transparency आएगी और यूजर्स को खुद भ्रामक सामग्री पहचानने का अवसर मिलेगा।
“Community Notes” प्रणाली वाकई में एक बेहतर विकल्प है, या इसके कुछ सीमित पहलू हैं?
Meta का नया Community Notes मॉडल काफी हद तक Elon Musk के X (पहले Twitter) पर लागू किए गए मॉडल से प्रेरित है। इस मॉडल का मुख्य आधार यह है कि कंटेंट को मॉडरेट करने की जिम्मेदारी, अब पूरी तरह से प्लेटफॉर्म के यूजर्स के हाथ में होगी। Community Notes के तहत किसी भी यूजर को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी पोस्ट को, भ्रामक या गलत ठहरा सकता है और उस पर टिप्पणी जोड़ सकता है। इसके बाद, अन्य यूजर्स इन टिप्पणियों को रेट करेंगे, जिससे यह तय किया जाएगा कि पोस्ट सही है या गलत।
हालांकि, सवाल उठता है कि क्या आम यूजर्स को इतना Trained किया गया है कि वे वैज्ञानिक, राजनीतिक या अन्य जटिल विषयों पर सटीक फैक्ट-चेकिंग कर सकें? क्या इससे भ्रामक सूचनाओं को और भी बढ़ावा नहीं मिलेगा? कई Experts का मानना है कि जब मॉडरेशन पूरी तरह आम जनता के हाथों में आ जाता है, तो यह प्रणाली पक्षपात और गलत जानकारी फैलाने का साधन भी बन सकती है। Meta को इस मॉडल में ऐसी सुरक्षा सुविधाएं जोड़ने की आवश्यकता होगी, जिससे प्लेटफॉर्म पर भ्रामक जानकारी को नियंत्रित किया जा सके।
“Community Notes” प्रणाली पर उठ रही आलोचनाएं और इसके संभावित खतरे क्या हो सकते हैं?

Meta के इस फैसले की आलोचना भी काफी तेज़ हो रही है। कई पत्रकारों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि Community Notes मॉडल, भ्रामक सूचनाओं को नियंत्रित करने की बजाय उन्हें और बढ़ावा दे सकता है। इस सिस्टम में मुख्य खतरा यह है कि एक समूह या विचारधारा के समर्थक, किसी पोस्ट को गलत ठहराने के लिए संगठित रूप से नोट्स डाल सकते हैं, भले ही पोस्ट Factual रूप से सही हो। इससे प्लेटफॉर्म पर सच्ची खबरों को भी सेंसर किए जाने का खतरा बढ़ सकता है। एक और समस्या यह है कि आम यूजर्स के पास Expertise की कमी हो सकती है, विशेषकर जब बात मेडिकल, विज्ञान या राजनीति जैसे जटिल विषयों की हो। ऐसे में गलत जानकारी की पहचान और उसका खंडन करना बेहद मुश्किल हो सकता है।
मार्क जुकरबर्ग की “Community Notes” प्रणाली के पीछे की मंशा पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग ने इस बदलाव को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए उठाया गया कदम बताया है। उनका कहना है कि पुरानी फैक्ट-चेकिंग एजेंसियां पक्षपाती रही हैं और इससे यूजर्स का भरोसा कम हुआ है। हालांकि, आलोचक यह तर्क दे रहे हैं कि Meta का यह कदम अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास भी हो सकता है। कई बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर झूठी खबरों के फैलने के कारण उन्हें कानूनी दबाव का सामना करना पड़ा है। अमेरिका और यूरोप में गलत सूचना के प्रसार के लिए भारी जुर्माने लगाए गए हैं। ऐसे में Community Notes मॉडल लाकर Meta कानूनी जवाबदेही से बचने का प्रयास कर सकती है।
Elon Musk का प्रभाव Meta के “Community Notes” प्रणाली पर क्या है, और इसे X से कैसे जोड़ा जा सकता है?
Meta का यह नया Community Notes मॉडल Elon Musk द्वारा Twitter (अब X) पर लागू की गई नीति से काफी मिलता-जुलता है। जब Elon Musk ने Twitter का अधिग्रहण किया, तो उन्होंने पुराने कंटेंट मॉडरेशन सिस्टम को हटाकर एक सामुदायिक फैक्ट-चेकिंग सिस्टम लागू किया था। हालांकि, X पर इस मॉडल ने भी विवाद पैदा किए। कई बार संगठित ट्रोल समूहों ने इसका दुरुपयोग करते हुए सटीक जानकारी को भी गलत ठहराया। इसके अलावा, कई बार संवेदनशील विषयों पर झूठी खबरों को बढ़ावा देने के लिए भी इसका गलत इस्तेमाल हुआ। Meta को इस मॉडल को अपनाते समय इन खतरों को ध्यान में रखना होगा।
Conclusion
तो दोस्तों, Meta का फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम बंद कर Community Notes जैसी सामुदायिक प्रणाली अपनाना निश्चित रूप से एक बड़ा बदलाव है। हालांकि, यह बदलाव कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। क्या आम जनता को इतनी Expertise है कि वे हर पोस्ट की सत्यता को जांच सकें? क्या इससे फेक न्यूज का प्रसार और अधिक नहीं बढ़ेगा? Meta को चाहिए कि वह इस नई प्रणाली को अधिक Transparent और संतुलित बनाए। ऐसा ना हो कि यह मॉडल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में गलत जानकारी के प्रसार का साधन बन जाए।
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