Motilal Nagar प्रोजेक्ट से बदलेगी मुंबई की सूरत, अडानी ग्रुप के तहत कितने स्क्वेयर फीट का मिलेगा नया घर? 2025

नमस्कार दोस्तों, मुंबई के गोरेगांव वेस्ट में स्थित Motilal Nagar रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। इस प्रोजेक्ट का ठेका अडानी ग्रुप को मिल चुका है और यह सौदा करीब 36,000 करोड़ रुपये का है। इस परियोजना को मुंबई के सबसे बड़े रेजिडेंशियल रि-डेवलपमेंट प्रयासों में से एक बताया जा रहा है। इस परियोजना को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) संचालित कर रही है।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य न केवल इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को नया रूप देना है, बल्कि यहां रहने वाले हजारों निवासियों को आधुनिक जीवनशैली और बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराना है। हालांकि, इस सौदे को लेकर विवाद भी गहराते जा रहे हैं। लागत बढ़ने और फ्लैट आवंटन में बदलाव के कारण स्थानीय निवासी इसे “मेगा स्कैम” करार दे रहे हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Motilal Nagar का इतिहास बहुत पुराना है। इस कॉलोनी का निर्माण 1960 के दशक में किया गया था। इसका मकसद मुंबई और इसके आसपास के इलाकों से विस्थापित गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को रहने के लिए एक स्थायी स्थान देना था। यहां पर बनाए गए ज्यादातर मकान 200 वर्ग फुट के थे, जो एक औसत भारतीय परिवार के लिए बेहद छोटे थे। शुरूआती दौर में यहां के निवासियों के पास सीमित संसाधन और सुविधाएं थीं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इन मकानों में अवैध विस्तार शुरू हो गया। लोग अपने घरों को अवैध रूप से बड़ा करने लगे, जिससे कॉलोनी में जगह की कमी हो गई और वहां बाढ़ और अन्य समस्याएं सामने आने लगीं।

2013 में, धारावी के एक निवासी द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के बाद Motilal Nagar की समस्याएं उजागर हुईं। कोर्ट ने MHADA को आदेश दिया कि वह इस कॉलोनी में हो रहे अवैध निर्माण की जांच करे और इसे दोबारा व्यवस्थित करे। इसके बाद MHADA ने इस पूरे क्षेत्र को दोबारा विकसित करने का फैसला किया। इसके तहत एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल अपनाने की योजना बनाई गई। MHADA के पास इस जमीन की मालिकाना हक थी और उसका मकसद यहां पर रहने वाले लोगों को किफायती और बेहतर आवास सुविधा देना था।

इस प्रोजेक्ट के लिए पहली (Tender) 13 अक्टूबर 2021 को जारी की गई थी। उस समय इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 21,918 करोड़ रुपये थी। इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप के अलावा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और नमन ग्रुप ने भी बोली लगाई थी। हालांकि, अगले छह महीनों के भीतर इस प्रोजेक्ट की लागत 60% बढ़कर 36,000 करोड़ रुपये हो गई।

इसका मुख्य कारण निर्माण लागत और जमीन की कीमत में हुई वृद्धि थी। प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने के साथ ही MHADA को मिलने वाले फ्लैट्स की संख्या भी घट गई। पहले यह आंकड़ा 20% था, लेकिन बाद में यह घटकर 13.29% रह गया। इसी के चलते स्थानीय निवासियों ने इस प्रोजेक्ट को “मेगा स्कैम” करार दिया और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इसकी जांच की मांग की।

मार्च 2025 तक Motilal Nagar रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ने एक बड़ा पड़ाव पार कर लिया है। मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, (MHADA) को आदेश दिया कि वह इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाए। इसके बाद अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (APPL) इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी। अडानी ग्रुप ने अन्य कंपनियों के मुकाबले इस प्रोजेक्ट में ज्यादा एरिया विकसित करने का वादा किया है। यही कारण है कि MHADA ने अडानी ग्रुप को इस प्रोजेक्ट का ठेका दिया।

इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 5,300 परिवारों का Rehabilitation किया जाएगा। इसमें 3,372 MHADA रेजिडेंशियल यूनिट्स, 328 कमर्शियल यूनिट्स और 1,600 झुग्गी बस्तियों के मकान शामिल होंगे। जिन लोगों को Rehabilitation किया जाएगा, उन्हें पहले के 200 वर्ग फुट के छोटे मकानों की तुलना में 1,600 वर्ग फुट तक का बड़ा मकान मिलेगा। इसके अलावा, इस परियोजना में स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पार्क और ओपन स्पेस जैसी आधुनिक सुविधाएं भी दी जाएंगी। MHADA ने दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 7 साल का समय लगेगा।

हालांकि, इस प्रोजेक्ट के खिलाफ स्थानीय निवासियों की नाराजगी अभी भी बनी हुई है। Motilal Nagar विकास समिति ने MHADA पर पारदर्शिता की कमी और उचित सलाह-मशविरा न करने का आरोप लगाया है। समिति का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की लागत जिस तरह से बढ़ाई गई है, उसमें भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं। इसके अलावा, समिति ने इस प्रोजेक्ट के डिजाइन और Rehabilitation योजना को लेकर भी सवाल उठाए हैं। निवासियों का कहना है कि अगर उन्हें नए घर दिए जा रहे हैं, तो उनकी पुरानी संपत्तियों के सही मूल्यांकन की भी जरूरत है।

इसके अलावा, Rehabilitation प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। निवासियों की मांग है कि उन्हें प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद नए मकान मिलने तक अस्थायी आवास सुविधा दी जाए। इसके अलावा, निवासियों ने मांग की है कि उन्हें नए मकानों के स्वामित्व का कानूनी अधिकार भी दिया जाए। हालांकि, MHADA ने स्पष्ट किया है कि सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और अस्थायी आवास सुविधा दी जाएगी।

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद Motilal Nagar का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। जहां पहले 200 वर्ग फुट के छोटे घर थे, वहां अब बड़े और आधुनिक अपार्टमेंट खड़े होंगे। इसके अलावा, इस कॉलोनी में पार्क, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और अन्य सुविधाएं भी होंगी, जिससे यहां रहने वाले लोगों का जीवनस्तर काफी बेहतर हो जाएगा।

इसके अलावा, इस Motilal Nagar प्रोजेक्ट का असर मुंबई के रियल एस्टेट बाजार पर भी पड़ेगा। गोरेगांव वेस्ट में पहले से ही प्रॉपर्टी की कीमतें बहुत ज्यादा हैं। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद यहां की प्रॉपर्टी कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा, अडानी ग्रुप के इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद अन्य रियल एस्टेट कंपनियां भी मुंबई में इसी तरह के बड़े प्रोजेक्ट लाने की कोशिश कर सकती हैं।

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद अडानी ग्रुप की स्थिति भारतीय रियल एस्टेट बाजार में और मजबूत हो जाएगी। पहले से ही अडानी ग्रुप के पास मुंबई के धारावी रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का ठेका है। अब Motilal Nagar प्रोजेक्ट भी अडानी ग्रुप के खाते में चला गया है। इससे अडानी ग्रुप का रियल एस्टेट पोर्टफोलियो और मजबूत होगा।

Motilal Nagar रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर अब सबकी नजरें अडानी ग्रुप पर टिकी हैं। क्या अडानी ग्रुप इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कर पाएगा? क्या निवासियों को उनके वादे के मुताबिक नए मकान और सुविधाएं मिलेंगी? ये सवाल आने वाले वर्षों में इस प्रोजेक्ट की सफलता को तय करेंगे। एक बात तो साफ है कि Motilal Nagar का यह प्रोजेक्ट मुंबई के शहरी विकास में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।

Conclusion

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