preity zinta: 18 करोड़ के आरोपों के बावजूद, राजनीति को मात देते हुए बॉलीवुड में अपनी अनूठी पहचान कायम!

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक फर्जी खबर कैसे किसी की छवि को मिनटों में धूमिल कर सकती है? कैसे एक अफवाह सच से ज्यादा तेजी से फैलती है और लोगों के दिमाग में संदेह पैदा कर देती है? यह मामला भी कुछ ऐसा ही है। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री preity zinta, जो अपने दमदार अभिनय और बेबाक राय के लिए जानी जाती हैं, इस बार सुर्खियों में किसी फिल्म या समाजसेवा के कारण नहीं, बल्कि एक विवादित आरोप की वजह से आईं। य

ह आरोप सिर्फ उनके खिलाफ नहीं था, बल्कि इसमें राजनीति, बैंकिंग घोटाला और सोशल मीडिया की ताकत भी शामिल हो गई। मामला न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में गंभीर प्रतिबंध लगाए थे। इस बैंक में ग्राहकों को अपने ही पैसे निकालने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे अफरातफरी मच गई।

इसी बैंक घोटाले के बीच कांग्रेस पार्टी की केरल यूनिट ने preity zinta पर आरोप लगाते हुए दावा किया कि, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से करीबी रिश्ते बनाकर 18 करोड़ रुपये का लोन माफ करवा लिया। देखते ही देखते यह खबर सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों पर छा गई। लेकिन क्या यह आरोप सच था? क्या वाकई preity zinta को कोई राजनीतिक फायदा मिला था? या फिर यह महज एक और राजनीतिक चाल थी, जिसमें एक सेलिब्रिटी को मोहरा बनाया गया?  आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि, इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस पार्टी की केरल यूनिट ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया। इस पोस्ट में कहा गया कि “preity zinta ने बीजेपी के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल किया, और इसके बदले में उन्हें 18 करोड़ रुपये का लोन माफ करवा दिया।” इस दावे में यह भी जोड़ा गया कि यह वही बैंक है जो हाल ही में डूब चुका है, और अब आम जनता अपने ही पैसों के लिए सड़क पर संघर्ष कर रही है।

यह खबर कुछ ही घंटों में वायरल हो गई। विपक्षी दलों और कुछ मीडिया हाउसों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग preity zinta को ट्रोल करने लगे। कई लोग उनके खिलाफ बिना तथ्यों को जाने ही टिप्पणी करने लगे।

लेकिन जब इस खबर ने तूल पकड़ा, तो खुद preity zinta को सामने आकर जवाब देना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के इस दावे को पूरी तरह से फर्जी और झूठा बताते हुए कड़ी आलोचना की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट जारी करते हुए लिखा, “मुझे शर्म आती है कि एक राजनीतिक दल मेरे नाम का इस्तेमाल करके फर्जी खबर फैला रहा है। मैंने कोई भी लोन माफ नहीं करवाया। यह झूठी खबरें सिर्फ मुझे बदनाम करने और लोगों को गुमराह करने के लिए फैलाई जा रही हैं। मैंने वह लोन 10 साल पहले चुका दिया था। कृपया बिना तथ्यों की जांच किए किसी भी खबर को न फैलाएं।”

preity zinta का यह बयान काफी मायने रखता था, क्योंकि उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को न केवल खारिज किया, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि वह इस तरह की फर्जी खबरों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रही हैं। सवाल यह उठता है कि अगर यह लोन वास्तव में 10 साल पहले चुका दिया गया था, तो फिर यह मामला क्यों उठाया गया? क्या यह केवल राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित था?

अगर इस पूरे मामले की तह तक जाएं, तो यह विवाद न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के घोटाले से जुड़ा है। इस बैंक को लेकर हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कई कड़े कदम उठाए थे, क्योंकि इसकी वित्तीय स्थिति बेहद खराब हो गई थी। बैंक ने बिना किसी सख्त जांच-पड़ताल के भारी मात्रा में लोन बांटे थे, जिनमें से अधिकतर डूबत खाते (NPA) में तब्दील हो गए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंक के कुल 122 करोड़ रुपये के घोटाले में 25 करोड़ रुपये के लोन की भी चर्चा हुई, जिसमें से 18 करोड़ रुपये का लोन कथित तौर पर preity zinta से जुड़ा बताया गया। लेकिन यह लोन कब लिया गया था? किस आधार पर दिया गया था? क्या वाकई इसे बिना किसी प्रक्रिया के माफ कर दिया गया था?

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस लोन को सालों पहले ही बट्टे खाते में डाल दिया गया था। आमतौर पर बैंक खराब लोन को बैलेंस शीट से हटाने के लिए उसे ‘बट्टे खाते’ में डाल देते हैं, जिससे बैंक की वित्तीय स्थिति बेहतर दिखे। इसका मतलब यह नहीं होता कि वह लोन पूरी तरह से माफ कर दिया गया। यह केवल एक Accounting process होती है। इसके बावजूद, कुछ लोगों ने इसे ऐसे पेश किया जैसे यह कोई नया घोटाला हो।

इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि साल 2019 में इस बैंक के 80 से अधिक कर्मचारियों को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने इस पूरे घोटाले की जांच के लिए केंद्रीय बैंक (RBI) से फोरेंसिक ऑडिट कराने की मांग की थी। इस जांच में यह सामने आया कि बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने फायदे के लिए लोन स्वीकृत किए थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि इसमें preity zinta की कोई भूमिका थी।

इस विवाद का एक और पहलू यह है कि राजनीति में फर्जी खबरें फैलाना और खासकर किसी सेलिब्रिटी को इसमें घसीटना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बॉलीवुड हस्तियों को बेवजह राजनीतिक विवादों में घसीटा गया है। कभी किसी अभिनेता को उनके राजनीतिक झुकाव के कारण निशाना बनाया जाता है, तो कभी किसी अभिनेत्री को झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश की जाती है। इस बार निशाना preity zinta बनीं, क्योंकि वह एक जानी-मानी शख्सियत हैं और उनके नाम को जोड़कर खबर को ज्यादा सनसनीखेज बनाया जा सकता था।

राजनीति में फर्जी

लेकिन इस पूरे मामले में सबसे बड़ी सीख यह मिलती है कि किसी भी खबर को आंख मूंदकर नहीं माना जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर आजकल गलत सूचनाएं तेजी से फैलती हैं, और कई बार लोग बिना तथ्यों की जांच किए ही किसी पर आरोप लगाने लगते हैं। इस मामले में भी कांग्रेस पार्टी की केरल यूनिट ने बिना किसी ठोस सबूत के एक आरोप लगा दिया, जिसे खुद preity zinta ने झूठा साबित कर दिया।

अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी इस गलत दावे के लिए माफी मांगेगी? क्या वे अपने आरोप को सही साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश करेंगे? या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में ठंडा पड़ जाएगा, जैसे कई अन्य राजनीतिक विवाद? इस विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राजनीति और मीडिया में झूठी खबरों का कितना प्रभाव होता है। फर्जी खबरें चाहे कितनी भी तेजी से फैलें, अंत में सच्चाई ही सामने आती है। इस मामले में भी वही हुआ। preity zinta ने खुद सामने आकर झूठे आरोपों का खंडन किया, जिससे यह साफ हो गया कि यह मामला केवल एक गलतफहमी या राजनीतिक चाल के अलावा और कुछ नहीं था।

आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का अंजाम क्या होता है। क्या preity zinta इन झूठे आरोपों के खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाएंगी? क्या कांग्रेस पार्टी इस विवाद पर सफाई देगी? या फिर यह मामला धीरे-धीरे लोगों की यादों से मिट जाएगा? जो भी हो, यह घटना एक और उदाहरण है कि कैसे सोशल मीडिया और राजनीति की ताकत का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है, और कैसे एक झूठी खबर मिनटों में किसी की साख को नुकसान पहुंचा सकती है।

Conclusion:-

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