Luxury Real Estate: Premium House क्यों अमीर हो रहा भारत और बदल रही है घर खरीदने की मानसिकता? जानिए इसका कारण I 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस देश में महंगाई और बेरोजगारी की खबरें आए दिन सुर्खियों में रहती हैं, वहां इतने महंगे और लग्जरी मकानों की बिक्री में अचानक इतनी तेजी क्यों आई है? यह सवाल इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हाल ही में आई नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2024 में मकानों की बिक्री 12 साल के highest level पर पहुंच गई है। लेकिन, यह सिर्फ बिक्री के आंकड़े भर नहीं हैं।

असली कहानी यह है कि लोग अब छोटे और सस्ते घरों की बजाय करोड़ों रुपये के Premium Houses को खरीदने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। आखिर ऐसा क्या बदला है कि भारत के रियल एस्टेट बाजार में इतना बड़ा बदलाव देखा जा रहा है? क्या सच में भारत अमीर हो रहा है, या यह सिर्फ एक विशेष वर्ग तक सीमित है? इस रिपोर्ट को समझना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह बदलाव सिर्फ संपत्ति बाजार तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में एक आर्थिक और मानसिक परिवर्तन को भी दर्शाता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

भारत के रियल एस्टेट बाजार की मौजूदा स्थिति और बिक्री आंकड़े क्या दर्शाते हैं?

रियल एस्टेट बाजार की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में देश के आठ प्रमुख शहरों में कुल 3,50,613 मकानों की बिक्री हुई, जो पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक है। यह आंकड़ा तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जब यह समझा जाए कि बिक्री का बड़ा हिस्सा प्रीमियम हाउसिंग सेगमेंट से आया है। अब लोग छोटे और किफायती मकानों की बजाय 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये के Premium Houses को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह बदलाव भारत के बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद और कोलकाता में स्पष्ट रूप से देखने को मिला है।

पिछले वर्षों में जहां आम भारतीय परिवार छोटे घरों और किफायती हाउसिंग की तलाश में रहते थे, वहीं अब बढ़ती संपन्नता और बदलती जीवनशैली के चलते यह प्रवृत्ति बदल रही है। आंकड़े सिर्फ एक नए ट्रेंड को नहीं दर्शाते, बल्कि यह इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति और उपभोक्ता मानसिकता दोनों में बड़ा बदलाव आया है।

लग्जरी मकानों की बढ़ती मांग के पीछे क्या कारण हैं?

भारत में लग्जरी मकानों की मांग में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि देखी जा रही है। नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट बताती है कि 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये की कीमत वाले मकानों की बिक्री में 85% की सालाना वृद्धि हुई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसी के साथ, छोटे और सस्ते मकानों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। 50 लाख रुपये से कम और 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की कीमत वाले मकानों की बिक्री में गिरावट देखी गई है।

यह परिवर्तन सिर्फ आर्थिक कारणों से नहीं, बल्कि सामाजिक बदलावों से भी प्रेरित है। अब लोग अपने जीवन स्तर को बेहतर दिखाने के लिए और ज्यादा सुविधाओं से लैस बड़े घरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। समाज में संपन्नता और सफलता का प्रदर्शन भी इस मानसिकता को बढ़ावा दे रहा है। बड़े शहरों में High Salary पाने वाले Professional, Businessman और NRI Investors इन लग्जरी मकानों को सिर्फ रहने के लिए नहीं, बल्कि एक स्टेटस सिंबल के रूप में देख रहे हैं।

Premium Houses की बढ़ती मांग के पीछे आर्थिक और सामाजिक कारण क्या हैं?

इस बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक कारण हैं, जो देश में रियल एस्टेट बाजार को नया आकार दे रहे हैं। आर्थिक रूप से देखें तो 2020 के बाद से भारत में ब्याज दरें स्थिर बनी हुई हैं। इससे होम लोन लेना आसान और सस्ता हो गया है, जिससे प्रीमियम हाउसिंग मार्केट में रुचि बढ़ी है। इसके साथ ही, भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि, विशेष रूप से मेट्रो शहरों में बढ़ती Income और संपत्ति ने भी इस बदलाव को प्रोत्साहित किया है।

कोविड-19 महामारी के बाद जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव आया है। वर्क फ्रॉम होम कल्चर और घर में अधिक समय बिताने की प्रवृत्ति ने लोगों को, बड़े और आरामदायक घरों की ओर प्रेरित किया है। लोग अब घर को सिर्फ एक रहने की जगह नहीं, बल्कि एक निजी स्पेस, वेलनेस और लग्जरी का केंद्र मान रहे हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेट को एक सुरक्षित Investment के रूप में देखा जा रहा है, जिसने high income group के लोगों को इस क्षेत्र में Investment के लिए प्रेरित किया है।

रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतों का middle and lower class पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

जहां एक ओर Premium Houses की मांग बढ़ रही है, वहीं इसका दूसरा पहलू यह है कि, middle and lower class के लिए घर खरीदना पहले से अधिक कठिन होता जा रहा है। 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले मकानों की बिक्री में भारी गिरावट दर्शाती है कि अब किफायती हाउसिंग का संकट बढ़ रहा है। बढ़ती महंगाई और प्रॉपर्टी की कीमतों ने Middle class के लिए घर खरीदना एक बड़ी चुनौती बना दिया है।

एक बड़ी चिंता यह भी है कि रियल एस्टेट कंपनियां अब अधिक मुनाफे के लिए लग्जरी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जिससे किफायती हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की संख्या घटती जा रही है। इससे Lower and middle class के लोग घर खरीदने की दौड़ में पिछड़ते जा रहे हैं।

कौन से शहरों में Premium Houses की सबसे ज्यादा मांग है, और इसके पीछे क्या कारण हैं?

Premium Houses की बढ़ती मांग भारत के कुछ विशेष शहरों में ज्यादा देखी जा रही है। मुंबई, पुणे, और हैदराबाद जैसे शहर इस बदलाव के केंद्र में हैं। मुंबई, भारत की वित्तीय राजधानी होने के कारण हमेशा से प्रीमियम प्रॉपर्टी के लिए एक आकर्षक बाजार रहा है। यहां की ऊंची प्रॉपर्टी कीमतें और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स इसे लग्जरी हाउसिंग के लिए आदर्श बनाते हैं।

हैदराबाद में आईटी सेक्टर और स्टार्टअप कल्चर के बढ़ने के कारण लग्जरी हाउसिंग की मांग तेजी से बढ़ी है। इसी तरह पुणे, जो एक Industrial और Academic Center है, वहां भी Premium Houses की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया है। इन शहरों में रहने वाले high income group के लोग, खासकर टेक्नोलॉजी और बिजनेस सेक्टर से जुड़े प्रोफेशनल्स, अब बड़े और शानदार घरों में Investment कर रहे हैं।

यह आर्थिक असमानता समाज को कैसे प्रभावित कर रही है, और इससे कौन-कौन सी चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं?

यह बदलता ट्रेंड न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक असमानता को भी उजागर कर रहा है। एक ओर जहां high income group करोड़ों रुपये के मकान खरीद रहा है, वहीं दूसरी ओर Lower and middle class के लोगों के लिए घर खरीदना एक सपना बनता जा रहा है। महंगे मकानों की बिक्री में वृद्धि और किफायती मकानों की गिरती बिक्री से साफ है कि समाज में आर्थिक खाई बढ़ रही है।

रियल एस्टेट कंपनियों का ध्यान अब अधिक मुनाफे की ओर होने के कारण किफायती हाउसिंग की योजनाएं लगातार घट रही हैं। सरकार और बिल्डर्स को यह समझने की जरूरत है कि एक समावेशी हाउसिंग पॉलिसी के बिना यह असमानता और गहरी हो सकती है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, भारत में Premium Houses की बढ़ती मांग देश के आर्थिक बदलाव का संकेत जरूर देती है, लेकिन यह बदलाव सभी वर्गों के लिए समान रूप से लाभकारी नहीं है। उच्च वर्ग के लोग तो लग्जरी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, लेकिन middle and lower class के लिए यह सपना दूर होता जा रहा है।

आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार और रियल एस्टेट सेक्टर मिलकर ऐसी योजनाएं बना पाते हैं, जिससे हर वर्ग के लिए घर खरीदना संभव हो सके।

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