PVR की कमाई का राज, जानिए Multiplex और फिल्ममेकर को कितना मिलता है हिस्सा! 2025

नमस्कार दोस्तों, जब भी कोई नई फिल्म रिलीज होती है तो दर्शकों में उसे लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लोग फिल्म का पहला शो देखने के लिए सिनेमाघरों में लंबी कतारें लगाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सिनेमा हॉल्स को इस पूरी प्रक्रिया से कितना फायदा होता है? क्या सारा पैसा जो टिकट बिक्री से आता है, वो सीधे Multiplex या सिनेमाघर के खाते में चला जाता है? या फिर इसमें कोई बंटवारा होता है? हाल ही में कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसने मल्टीप्लेक्स के बिजनेस मॉडल पर असर डालने की संभावना को और भी बढ़ा दिया है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की है कि अब कर्नाटक के सभी सिनेमाघरों, और मल्टीप्लेक्स में टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपए तय कर दी गई है। इस फैसले के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर Multiplex अब कितना मुनाफा कमा पाएंगे, और इससे फिल्म (Producer) पर क्या असर पड़ेगा?

क्या इससे भारतीय सिनेमा हॉल्स के बिजनेस मॉडल में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए पहले यह समझना जरूरी है कि मल्टीप्लेक्स और सिनेमा हॉल्स पैसा कैसे कमाते हैं, और इसमें PVR और अन्य कंपनियों के हिस्से में कितना पैसा आता है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Multiplex की कमाई का सबसे पहला और सबसे बड़ा स्रोत (Box Office Collection) होता है। लेकिन यह जानकर आपको हैरानी होगी कि मल्टीप्लेक्स को टिकट से होने वाली पूरी कमाई नहीं मिलती। जब कोई फिल्म रिलीज होती है, तो उसकी टिकट से होने वाली कमाई का एक हिस्सा फिल्म के निर्माता और (Distributor) को भी मिलता है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में यह बंटवारा 50 50% के अनुपात में होता है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी फिल्म ने पहले हफ्ते में 100 करोड़ रुपए की कमाई की है, तो उसमें से 50 करोड़ रुपय निर्माता के खाते में जाता है और 50 करोड़ रुपए Multiplex के हिस्से में आता है। लेकिन यह बंटवारा हर हफ्ते बदलता रहता है।

पहले हफ्ते में जब फिल्म की कमाई चरम पर होती है, तब निर्माता को बड़ा हिस्सा मिलता है। दूसरे हफ्ते में यह अनुपात बदलकर निर्माता के पक्ष में 45% और Multiplex के पक्ष में 55% हो जाता है। तीसरे हफ्ते तक आते-आते यह अनुपात 60 40% तक हो सकता है। अगर फिल्म लंबे समय तक थिएटर में चलती रहती है, तो मल्टीप्लेक्स का हिस्सा और भी ज्यादा हो सकता है।

कई मामलों में, अगर फिल्म को चार हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं और वह अब भी थिएटर में चल रही है, तो मल्टीप्लेक्स को टिकट से 70% तक का हिस्सा मिल सकता है। यानी जितनी लंबी फिल्म थिएटर में चलती है, मल्टीप्लेक्स की कमाई उतनी ही ज्यादा होती है।

टिकट बिक्री के अलावा Multiplex की दूसरी सबसे बड़ी कमाई का स्रोत होता है फूड एंड बेवरेज । अगर आप कभी किसी मल्टीप्लेक्स में गए हैं, तो आपने पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स की कीमतों को लेकर जरूर शिकायत की होगी। मल्टीप्लेक्स जानबूझकर इन Products की कीमतें बहुत ज्यादा रखते हैं, क्योंकि यह उनकी सबसे ज्यादा प्रॉफिटेबल इनकम होती है।

PVR जैसी बड़ी कंपनियों की कुल कमाई में फूड एंड बेवरेज का हिस्सा लगभग 40% होता है। उदाहरण के लिए, finance year 23 में PVR ने टिकट बिक्री से 1,878 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जबकि फूड एंड बेवरेज से उसने 1,145 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। यानी जितनी कमाई टिकट बिक्री से होती है, उससे आधी से ज्यादा कमाई सिर्फ स्नैक्स और ड्रिंक्स से हो रही है।

फूड एंड बेवरेज से Multiplex को होने वाली कमाई इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि इसमें मार्जिन बहुत ज्यादा है। उदाहरण के लिए, एक छोटे से पॉपकॉर्न के डिब्बे की लागत करीब 10 रुपए होती है, लेकिन इसे मल्टीप्लेक्स में 250 से 400 रुपए तक में बेचा जाता है। कोल्ड ड्रिंक की वास्तविक लागत करीब 20 होती है, लेकिन मल्टीप्लेक्स इसे 200 से 300 रुपए में बेचते हैं। यानी एक-एक प्रोडक्ट पर 200 से 400% तक का मार्जिन मिलता है।

Multiplex की तीसरी कमाई का जरिया है (Advertisements)। आपने अक्सर देखा होगा कि फिल्म शुरू होने से पहले करीब 10 से 15 मिनट तक Advertisement चलते हैं। ये Advertisement मल्टीप्लेक्स के लिए बड़ी इनकम का जरिया होते हैं। कंपनियां मल्टीप्लेक्स को अपने प्रोडक्ट्स के Advertisement देने के लिए बड़ी रकम चुकाती हैं। इसकी वजह यह है कि सिनेमा हॉल्स में मौजूद दर्शक एक “कैप्टिव ऑडियंस” होते हैं। जब आप थिएटर में बैठे होते हैं, तो आपके पास

Advertisement को स्किप करने का कोई ऑप्शन नहीं होता। इस वजह से Advertiser सिनेमा हॉल्स को ज्यादा पैसा देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, Multiplex की कुल कमाई का 10 से 15% हिस्सा Advertisement से आता है। ब्रांडिंग का असर दर्शकों पर ज्यादा होता है, क्योंकि सिनेमा हॉल में माहौल फोकस्ड होता है और दर्शक आसानी से Advertisement की ओर आकर्षित हो जाते हैं।

कई कंपनियां अपने Advertisement फिल्मों की थीम के हिसाब से प्लान करती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई एक्शन फिल्म रिलीज हो रही है, तो एनर्जी ड्रिंक या जिम से जुड़ी कंपनियां उसी समय अपने Advertisement प्लेस कराती हैं, जिससे ब्रांड का सीधा कनेक्ट दर्शकों के साथ हो सके।

कई बार Multiplex थिएटर कंपनियां फिल्मों के प्रमोशन से भी कमाई करती हैं। जब कोई बड़ी फिल्म रिलीज होने वाली होती है, तो निर्माता प्रमोशन के लिए मल्टीप्लेक्स को एक निश्चित रकम चुकाते हैं। इसके बदले में मल्टीप्लेक्स निर्माता को ज्यादा प्राइम टाइम स्लॉट देते हैं, यानी शाम के शो में ज्यादा स्क्रीनिंग देते हैं।

अब सवाल उठता है कि कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद Multiplex की कमाई पर क्या असर पड़ेगा? अगर टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपए तय कर दी जाती है, तो इससे मल्टीप्लेक्स की टिकट बिक्री से होने वाली कमाई कम हो सकती है।

हालांकि, इससे मल्टीप्लेक्स को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि उनकी असली कमाई फूड एंड बेवरेज और Advertisements से होती है। इसके अलावा, अगर टिकट की कीमत कम होगी, तो थिएटर में ज्यादा भीड़ जुटेगी और इससे फूड एंड बेवरेज और Advertisement से होने वाली कमाई बढ़ सकती है।

फिल्म निर्माता के लिए भी यह फैसला थोड़ा नुकसानदायक हो सकता है। अगर टिकट की कीमत कम होगी, तो पहले हफ्ते में निर्माता को मिलने वाला हिस्सा भी कम हो सकता है। इसका असर छोटे बजट की फिल्मों पर ज्यादा पड़ेगा, क्योंकि इनकी कमाई का ज्यादातर हिस्सा शुरुआती हफ्ते से आता है।

इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि Multiplex का बिजनेस मॉडल बहुत हद तक फूड एंड बेवरेज और Advertisement पर टिका हुआ है। टिकट बिक्री से होने वाली कमाई पर निर्माता का ज्यादा हक होता है, लेकिन मल्टीप्लेक्स Advertisement और फूड एंड बेवरेज से ही असली पैसा बनाते हैं। यही वजह है कि टिकट की कीमत कम होने के बावजूद मल्टीप्लेक्स को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा। इ

सके उलट, सस्ती टिकट होने की वजह से थिएटर में ज्यादा दर्शक आएंगे और इससे मल्टीप्लेक्स को फायदा होगा। अब देखना यह है कि इस फैसले के बाद भारत के मल्टीप्लेक्स इंडस्ट्री में क्या बदलाव आता है।

Conclusion:-

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