Roshni Nadar की सफलता की कहानी, HCL को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का विज़न! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सुना है कि किसी को एक ही दिन में 47% की हिस्सेदारी गिफ्ट के रूप में मिल जाए, और वह सीधे एक मल्टी-बिलियन डॉलर कंपनी का सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन जाए? क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति, जो एक सफल बिजनेस वुमन के रूप में पहले से ही पहचान बना चुका हो, उसे अचानक एक ऐसे साम्राज्य की बागडोर सौंप दी जाए जिसकी कीमत हजारों करोड़ों में हो? ये कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती, लेकिन यह हकीकत है।

भारतीय टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक, HCL Technologies के फाउंडर शिव नादर ने अपनी 47% हिस्सेदारी अपनी बेटी Roshni Nadar मल्होत्रा को गिफ्ट कर दी है। यह सिर्फ एक गिफ्ट नहीं है, बल्कि HCL की रणनीतिक उत्तराधिकार योजना का एक अहम हिस्सा है। इसके बाद Roshni Nadar HCL टेक्नोलॉजीज और वामा दिल्ली की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई हैं।

इस फैसले के पीछे का कारण क्या है? क्या शिव नादर ने यह फैसला किसी व्यावसायिक रणनीति के तहत लिया है या फिर यह एक पारिवारिक उत्तराधिकार का मामला है? और सबसे बड़ा सवाल – अब HCL का भविष्य कैसा होगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

HCL Technologies भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रतिष्ठित टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक है। इस कंपनी की स्थापना शिव नादर ने 1976 में की थी। तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि यह कंपनी एक दिन 12 बिलियन डॉलर की टेक जायंट बन जाएगी। HCL की सफलता की कहानी न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर में चर्चा का विषय रही है।

आज यह कंपनी सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, क्लाउड सर्विसेज और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर है। लेकिन इस सफलता के पीछे शिव नादर की रणनीतिक सोच और उनकी दूरदर्शिता का बड़ा हाथ रहा है। अब जब उन्होंने HCL की 47% हिस्सेदारी अपनी बेटी को सौंप दी है, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या Roshni Nadar इस कंपनी को नई ऊंचाइयों तक ले जा पाएंगी?

HCL Technologies के शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, शिव नादर ने वामा सुंदरी इनवेस्टमेंट्स (दिल्ली) प्राइवेट लिमिटेड (वामा दिल्ली), और HCL कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में अपनी 47% हिस्सेदारी को अपनी बेटी Roshni Nadar मल्होत्रा के नाम ट्रांसफर कर दिया है।

इसके बाद रोशनी HCL टेक्नोलॉजीज और HCL इंफोसिस्टम्स की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई हैं। इससे पहले शिव नादर और रोशनी के पास क्रमशः वामा दिल्ली और HCL Corp में 51% और 10.33% हिस्सेदारी थी। लेकिन अब रोशनी की हिस्सेदारी कुल मिलाकर 47% तक हो गई है, जिससे वह कंपनी पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लेंगी।

हालांकि, शिव नादर ने यह फैसला एक रणनीतिक उत्तराधिकार योजना के तहत लिया है। HCL ने एक बयान में कहा है कि यह ट्रांसफर उत्तराधिकार योजना के तहत किया गया है ताकि कंपनी की लीडरशिप, सुचारू रूप से आगे बढ़े और कंपनी के भविष्य में स्थिरता बनी रहे। कंपनी ने इस फैसले को शेयरधारकों के हित में बताया है। Securities and Exchange Board of India ने इस ट्रांसफर को मंजूरी दे दी है, और रोशनी को इस ट्रांसफर के बाद ओपन ऑफर लाने की जरूरत से छूट दे दी गई है। यानी यह डील बिना किसी कानूनी अड़चन के पूरी हो सकेगी।

अब सवाल यह है कि आखिर शिव नादर ने यह फैसला क्यों लिया? शिव नादर एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर माने जाते हैं। उन्होंने HCL को एक छोटे से हार्डवेयर सेलिंग स्टार्टअप से 12 बिलियन डॉलर की कंपनी में तब्दील किया। लेकिन अब उनका मानना है कि कंपनी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक नए नेतृत्व की जरूरत है। उन्होंने अपनी बेटी Roshni Nadar पर पूरा भरोसा जताया है।

Roshni Nadar कोई साधारण बिजनेस लीडर नहीं हैं। उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है, और केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए की डिग्री ली है। Roshni Nadar ने अपने करियर की शुरुआत मीडिया इंडस्ट्री से की थी। लेकिन 2013 में उन्होंने HCL कॉर्पोरेशन की CEO के रूप में कंपनी की कमान संभाली। इसके बाद 2020 में उन्हें HCL Technologies का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया।

रोशनी के नेतृत्व में HCL ने जबरदस्त ग्रोथ हासिल की है। उन्होंने कंपनी को नए बिजनेस मॉडल, क्लाउड सर्विसेज और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में आगे बढ़ाया है। उन्होंने HCL के ग्लोबल बिजनेस को मजबूत किया है। रोशनी के नेतृत्व में HCL ने कई बड़े अधिग्रहण किए हैं और अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की रेंज को बढ़ाया है।

इसके अलावा, Roshni Nadar सिर्फ एक सफल बिजनेस लीडर नहीं हैं, बल्कि एक प्रभावशाली समाजसेवी भी हैं। वह शिव नादर फाउंडेशन के तहत शिक्षा और सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ा रही हैं। यह फाउंडेशन शिव नादर यूनिवर्सिटी, विद्या ज्ञान स्कूल और SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग जैसे प्रतिष्ठित Educational institutions को चलाता है। इसके अलावा, वह Environmental protection के लिए The Habitats Trust के जरिए Wildlife conservation, और बायोडायवर्सिटी को बचाने के प्रयासों में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं।

Roshni Nadar की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने 2009 में शिखर मल्होत्रा से शादी की थी। शिखर मल्होत्रा भी HCL ग्रुप का हिस्सा हैं और फिलहाल HCL हेल्थकेयर के वाइस चेयरमैन हैं। उनके दो बच्चे हैं – बड़े बेटे का नाम अरमान है, जिसका जन्म 2013 में हुआ, जबकि छोटे बेटे जहान का जन्म 2017 में हुआ।

अब सवाल यह है कि इस बदलाव के बाद HCL का भविष्य कैसा होगा? Roshni Nadar अब HCL की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई हैं। इससे उनका कंपनी पर नियंत्रण और मजबूत हो गया है। इसका असर कंपनी की रणनीति और विस्तार पर पड़ेगा। रोशनी पहले ही क्लाउड सर्विसेज, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में कंपनी का फोकस बढ़ा चुकी हैं।

experts का मानना है कि Roshni Nadar के नेतृत्व में HCL टेक्नोलॉजीज आने वाले समय में और भी मजबूत स्थिति में होगी। HCL पहले ही अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों में अपने बिजनेस को मजबूत कर चुकी है। अब कंपनी की रणनीति नए बाजारों में विस्तार और नई तकनीकों के साथ नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करने की है।

शिव नादर ने जो साम्राज्य खड़ा किया है, अब वह साम्राज्य रोशनी के हाथों में है। अगर Roshni Nadar ने अपने पिता की रणनीति और सोच को आगे बढ़ाया, तो HCL आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक बन सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रोशनी HCL को किस दिशा में ले जाती हैं और कंपनी की ग्रोथ को कैसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाती हैं। एक बात तो तय है कि Roshni Nadar अब सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि ग्लोबल बिजनेस लीडर के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं।

Conclusion

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