Trademark Dispute: Schezwan Chutney डाबर और टाटा की कानूनी लड़ाई, हाई कोर्ट में क्यों पहुंची मामला? 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक चटनी, जो आपके खाने का स्वाद बढ़ाती है, कैसे देश के दो दिग्गज ब्रांड्स को हाई कोर्ट तक ले जा सकती है? एक साधारण से दिखने वाला नाम Schezwan Chutney अब डाबर और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के बीच कानूनी जंग का केंद्र बन गया है। यह मामला केवल ट्रेडमार्क का नहीं है; यह एक बड़ी व्यावसायिक Competition और ब्रांड वैल्यू की लड़ाई है।

दिल्ली हाई कोर्ट में यह बहस छिड़ी है कि क्या “Schezwan Chutney” को ट्रेडमार्क के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है या यह सिर्फ एक सामान्य नाम है, जिसका उपयोग कोई भी कर सकता है। इस विवाद ने न केवल उद्योग जगत बल्कि Consumers का भी ध्यान खींचा है। आखिरकार, यह लड़ाई स्वाद और ब्रांड की प्रतिष्ठा से जुड़ी है, जिसे दोनों कंपनियां किसी भी कीमत पर बचाना चाहती हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

डाबर और टाटा के बीच कानूनी विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब डाबर ने अपनी Schezwan Chutney को 2022 में बाजार में लॉन्च किया। इस प्रोडक्ट का नाम वही था, जिसे पहले से कैपिटल फूड्स के मशहूर ब्रांड्स Ching’s Secret और Smith & Jones के साथ जोड़ा जाता है। टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने, जिसने 2024 में कैपिटल फूड्स का acquisition किया, डाबर पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया।

टाटा ने आरोप लगाया कि “Schezwan Chutney” उनके ब्रांड का एक स्थापित नाम है, जिसे प्रमोट करने में उन्होंने न केवल पैसा, बल्कि समय और प्रयास भी लगाए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि डाबर ने उनकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग की नकल करके Consumers को भ्रमित करने की कोशिश की है। यह आरोप लगाया गया कि डाबर ने अपने ब्रांड नाम को छोटे अक्षरों में छापा और “Schezwan Chutney” को बड़े और बोल्ड अक्षरों में दिखाया, ताकि Consumers को यह लगे कि यह टाटा का ही product है।

डाबर ने क्यों तर्क दिया कि ‘Schezwan Chutney’ एक सामान्य नाम है?

डाबर ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि “Schezwan Chutney” कोई ब्रांड नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य नाम है, जो एक खास प्रकार की चटनी और उसके स्वाद को दर्शाता है। डाबर ने यह दावा किया कि यह शब्द किसी एक कंपनी की संपत्ति नहीं हो सकता, क्योंकि यह Food Category का प्रतिनिधित्व करता है।

डाबर का यह भी कहना है कि उन्होंने ट्रेडमार्क कानून का उल्लंघन नहीं किया है। उनका मानना है कि उनकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग स्पष्ट रूप से अलग है और इससे Consumers को कोई भ्रम नहीं होगा। इसके साथ ही, उन्होंने अदालत से “Schezwan Chutney” को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत करने के खिलाफ तर्क दिया, यह कहते हुए कि यह शब्द एक सामान्य खाद्य नाम है और इसे ट्रेडमार्क के रूप में सुरक्षित नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट ने इस मामले में क्या नोटिस जारी किया और मौजूदा कानूनी स्थिति क्या है?

एक खास प्रकार की चटनी

दिल्ली हाई कोर्ट ने टाटा कंज्यूमर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए डाबर को नोटिस जारी किया, और 5 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने यह नोटिस टाटा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के आधार पर जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि डाबर ने उनके ब्रांड नाम और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है।

टाटा ने कोर्ट से आग्रह किया कि डाबर को “Schezwan Chutney” नाम का उपयोग करने से रोका जाए और उन्हें अपनी पैकेजिंग और मार्केटिंग को बदलने का आदेश दिया जाए। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है और यह तय करना अब अदालत के हाथ में है कि “शेज़वान चटनी” को ट्रेडमार्क के रूप में मान्यता दी जा सकती है या नहीं।

“Schezwan Chutney” का महत्व क्या है, और यह नाम क्यों खास है?

“Schezwan Chutney” भारतीय बाजार में सिर्फ एक चटनी नहीं, बल्कि एक विशेष पहचान बन चुकी है। यह न केवल चीनी व्यंजनों का एक प्रमुख हिस्सा है, बल्कि भारतीय घरों में इसे कई अन्य व्यंजनों के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है। यह Consumers के बीच इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि इसका नाम ही स्वाद और तीखेपन का पर्याय बन गया है।

टाटा का दावा है कि इस प्रोडक्ट को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में उन्होंने न केवल बड़ा निवेश किया, बल्कि इसके लिए मार्केटिंग और विज्ञापन में भी भारी मेहनत की। इस नाम ने Ching’s Secret और Smith & Jones जैसे ब्रांड्स को भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक अलग पहचान दिलाई है।

FMCG बाजार में प्रतिस्पर्धा क्यों बड़ रही है?

भारत का FMCG बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इसमें सॉस, चटनी और मसालों का बड़ा हिस्सा है। डाबर और टाटा दोनों ही इस सेगमेंट में अपनी जगह बनाने और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

डाबर, जो अपने च्यवनप्राश, रियल जूस और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के लिए जाना जाता है, अब मसाले और सॉस के बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, टाटा ने कैपिटल फूड्स का acquisition करके इस कैटेगरी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इस acquisition के बाद, टाटा ने इस सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को और आक्रामक बनाया है।

Consumers और FMCG Industry पर इस विवाद का क्या प्रभाव पड़ेगा?

इस विवाद का सबसे बड़ा असर Consumers पर पड़ सकता है। अगर कोर्ट “Schezwan Chutney” को एक ट्रेडमार्क के रूप में मान्यता देता है, तो यह अन्य ब्रांड्स के लिए इस नाम का उपयोग करना मुश्किल कर देगा। इससे न केवल बाजार में Competition कम हो सकती है, बल्कि Consumers के पास विकल्प भी सीमित हो सकते हैं।

यह विवाद यह भी दिखाता है कि FMCG Industry में ब्रांड और ट्रेडमार्क कितने महत्वपूर्ण हो गए हैं। कंपनियां अब अपने Products की गुणवत्ता के साथ-साथ अपनी ब्रांड पहचान को सुरक्षित रखने के लिए भी बड़े कदम उठा रही हैं। यह मामला न केवल एक कानूनी लड़ाई है, बल्कि यह भारतीय FMCG बाजार में ब्रांडिंग और ट्रेडमार्क के महत्व को भी उजागर करता है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, “Schezwan Chutney” को लेकर छिड़ी यह कानूनी लड़ाई केवल डाबर और टाटा की ब्रांडिंग रणनीतियों तक सीमित नहीं है। यह विवाद भारतीय FMCG Industry में ट्रेडमार्क कानूनों और ब्रांड सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता को उजागर करता है।

अदालत का यह फैसला भारतीय बाजार में ब्रांडिंग और ट्रेडमार्क से जुड़े कई पहलुओं को स्पष्ट करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और इसका भारतीय FMCG बाजार पर क्या असर पड़ता है। “Schezwan Chutney अब सिर्फ एक चटनी नहीं, बल्कि एक ऐसा नाम बन गया है, जिसने स्वाद, ब्रांड और कानूनी बहस को एक साथ जोड़ दिया है।”

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