Exclusive: Tariff नीति से बदलेंगे अमेरिका-भारत संबंध, क्या व्यापार में नए अवसर मिलेंगे? 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में दरार इतनी गहरी हो गई है कि, अब इसका असर आम लोगों की जेब पर भी पड़ने वाला है? क्या डोनाल्ड ट्रंप का आरोप वाकई सच है कि भारत अमेरिकी Products पर अनुचित रूप से ज्यादा टैक्स लगा रहा है, या फिर इसके पीछे कोई और राजनीतिक चाल छुपी है? हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर, अमेरिकी Products पर भारी Import duty लगाने का आरोप लगाया है।

उन्होंने खासतौर पर भारत पर ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर निशाना साधा है। ट्रंप का कहना है कि भारत अमेरिका से Export होने वाली कारों पर भारी Tariff लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन क्या सच में ऐसा है? या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा है? इस पूरे विवाद का सच जानने के लिए हमें आंकड़ों पर नज़र डालनी होगी। आइए समझते हैं कि आखिर इस टैरिफ विवाद के पीछे की असली कहानी क्या है।

जब हम आंकड़ों पर नज़र डालते हैं, तो तस्वीर कुछ अलग नजर आती है। ट्रंप ने अपने भाषण में दावा किया कि भारत अमेरिका से Export होने वाली कारों पर सबसे ज्यादा Tariff लगाता है। लेकिन हकीकत ये है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में अमेरिका को भारत से खास नुकसान नहीं हो रहा है। असली समस्या गाड़ियों से ज्यादा खाने-पीने की चीजों, शराब और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर लगने वाले भारी Tariff की है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2023 में अमेरिका के कुल 7.3 अरब डॉलर के Export पर 60% या उससे ज्यादा Import duty लगाई गई। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले Products में फूड सप्लीमेंट्स, डक मीट, ऑयलसीड्स, कालीन और मैपल सिरप शामिल हैं।

खास बात यह है कि अकेले फूड प्रोडक्ट्स पर ही 1.1 अरब डॉलर का Export, High tarrif की वजह से प्रभावित हुआ। इसका मतलब है कि भारत और अन्य देशों में खाने-पीने की चीजों पर अमेरिका को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बाद डक मीट और ऑयलसीड्स का नंबर आता है, डक मीट पर 772 मिलियन डॉलर और ऑयलसीड्स पर 716 मिलियन डॉलर के Export पर भारी टैरिफ लगाया गया। यह आंकड़े बताते हैं कि समस्या गाड़ियों से ज्यादा अन्य Products पर लग रहे Tariff की है।

ट्रंप ने अपने भाषण में भारत पर सीधा हमला बोला और कहा कि भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर बहुत अधिक टैक्स लगाता है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के उन Top 10 Products में, जो High Tariff झेल रहे हैं, भारत का योगदान सिर्फ 0.2% है। यानी ट्रंप का दावा पूरी तरह से सच नहीं है। भारत पर ट्रंप का निशाना साधना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हो सकता है।

दरअसल, ट्रंप का असली निशाना भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर नहीं, बल्कि अमेरिका के घरेलू व्यापारिक दबावों को संभालने की कोशिश हो सकती है। अमेरिका के किसान और मैन्युफैक्चरर्स उन Tariff से परेशान हैं, जो विभिन्न देशों द्वारा अमेरिकी Products पर लगाए जा रहे हैं। ट्रंप इस मुद्दे को भारत के खिलाफ खड़ा करके अमेरिकी जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि वे अमेरिकी Products के हितों की रक्षा कर रहे हैं।

इसके अलावा, शराब पर लगने वाले भारी टैक्स भी अमेरिका के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं। अमेरिकी व्हिस्की को 15 देशों में High taxes का सामना करना पड़ रहा है। इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों ने अमेरिकी व्हिस्की पर भारी टैक्स लगा रखा है। यही हाल बीयर का भी है। अमेरिकी बियर पर 14 देशों में 60% या उससे अधिक शुल्क लगाया गया है। वोडका और रम को भी भारत समेत 13 अन्य देशों में भारी Tariff झेलना पड़ रहा है। इससे अमेरिकी शराब कंपनियों को Export में काफी दिक्कत हो रही है।

अगर हम अमेरिका के कुल Export पर नज़र डालें, तो केवल 0.4% अमेरिकी Export ही High Tariff के दायरे में आता है। इसका मतलब यह है कि ट्रंप के आरोप की बुनियाद बहुत मजबूत नहीं है। इस सूची में भारत नौवें स्थान पर है, जबकि कोरिया, मैक्सिको, कनाडा और चीन अमेरिका के Export पर सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में शामिल हैं। अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी चीन है, लेकिन ट्रंप ने भारत पर हमला बोलकर इस मुद्दे को भटकाने की कोशिश की है।

असल में, ट्रंप का ये आरोप अमेरिकी घरेलू राजनीति से भी जुड़ा हो सकता है। ऐसे में ट्रंप यह दिखाना चाहते हैं कि वे अमेरिकी उद्योगों और किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। भारत को टारगेट करना उनके लिए एक आसान विकल्प हो सकता है, क्योंकि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और अमेरिका के लिए एक मजबूत व्यापारिक भागीदार भी है।

हालांकि, भारत पर Tariff लगाने का मुद्दा ट्रंप के पुराने कार्यकाल के दौरान भी कई बार उठा था। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने भारत से स्टील और एल्युमिनियम के Import पर Tariff बढ़ा दिए थे। इसके जवाब में भारत ने भी अमेरिकी Products पर Tariff बढ़ा दिया था। तब से लेकर अब तक भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में कई बार तनाव देखा गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संतुलन को लेकर जो असली मुद्दे हैं, वे ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े नहीं हैं। असली समस्या कृषि Products, टेक्सटाइल, दवाओं और शराब पर लगने वाले टैरिफ की है। ट्रंप इस मुद्दे को जानबूझकर ऑटोमोबाइल से जोड़कर अमेरिकी जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, भारत के पास भी इस मुद्दे पर अपनी मजबूरियां हैं। भारत की सरकार घरेलू बाजार को सुरक्षित रखने के लिए Tariff लगाती है। भारत में लाखों किसान और छोटे कारोबारी इस टैरिफ के जरिए ही अपना व्यवसाय चला रहे हैं। अगर भारत अमेरिकी Products पर Tariff घटाता है, तो इससे भारतीय किसानों और मैन्युफैक्चरर्स को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि भारत ने अमेरिकी Products पर Tariff में ढील देने से इनकार कर दिया है।

आने वाले समय में यह व्यापारिक विवाद और गहराने की संभावना है। ट्रंप की नीतियों का असर भारत के आईटी, फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ सकता है। भारत के लिए यह चुनौती होगी कि वह अपने घरेलू बाजार की सुरक्षा, और अमेरिकी व्यापारिक दबाव के बीच संतुलन कैसे बनाए।

ट्रंप के इस आरोप ने अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों में एक नई बहस छेड़ दी है। ट्रंप का दावा कितना सच है और कितना राजनीति से प्रेरित है, इसका फैसला आने वाले समय में होगा। लेकिन एक बात तय है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध अब पहले जैसे नहीं रहेंगे। ट्रंप ने जो मुद्दा उठाया है, वह आने वाले सालों में भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। भारत को इस विवाद से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीति बनानी होगी, ताकि भारतीय Products को वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाए रख सकें।

Conclusion

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