नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि एक मोबाइल ऐप, जिसे पूरी दुनिया में अरबों लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, अचानक एक देश के लिए National Security का खतरा बन जाता है। जिस प्लेटफॉर्म पर युवा से लेकर बड़े तक अपने क्रिएटिव कंटेंट साझा कर रहे हैं, वह एक दिन राजनीतिक और आर्थिक शक्ति संतुलन की जंग का सबसे बड़ा हथियार बन जाता है। यह सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि एक नई तकनीकी और वित्तीय लड़ाई का केंद्र बिंदु बन चुका है। TikTok को लेकर अमेरिका और चीन के बीच कुछ ऐसा ही चल रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में भी TikTok को बैन करने की कोशिश की थी, अब फिर से इस पर बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। लेकिन इस बार उनका दांव पहले से कहीं ज्यादा बड़ा और सोचा-समझा है। ट्रंप ने सिर्फ टिकटॉक के भविष्य को लेकर ही नहीं, बल्कि अमेरिका की पूरी आर्थिक नीति को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने Sovereign Wealth Fund बनाने की घोषणा की है, जिसमें टिकटॉक से मिलने वाले संभावित लाभ को शामिल किया जाएगा।
ट्रंप का कहना है कि अगर कोई अमेरिकी कंपनी TikTok को खरीदती है, तो उससे होने वाले मुनाफे को इस नए फंड में रखा जाएगा। इससे अमेरिका को न सिर्फ एक नया आर्थिक हथियार मिलेगा, बल्कि यह उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में और अधिक शक्ति देगा। यह फैसला न केवल एक सामान्य टेक्नोलॉजी कंपनी की खरीदारी है, बल्कि एक आर्थिक युद्ध की नई रणनीति है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या अमेरिका वाकई TikTok को खरीदकर इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहता है? क्या ट्रंप का यह मास्टरस्ट्रोक अमेरिका को आर्थिक रूप से और अधिक शक्तिशाली बनाएगा? और क्या इससे चीन को बड़ा झटका लगेगा? आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का खुद का सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने का ऐलान क्यों किया?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नए Executive Order पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें उन्होंने अमेरिका के लिए एक सॉवरेन वेल्थ फंड बनाने की योजना को मंजूरी दी है। इस आदेश के तहत, अमेरिका अब उन कंपनियों से मिलने वाले लाभ को संरक्षित करेगा, जो National Security या आर्थिक स्थिरता से जुड़ी हैं।
ट्रंप ने इस योजना के तहत साफ किया है कि अगर कोई अमेरिकी कंपनी TikTok का acquisition करती है, तो उससे होने वाला लाभ इस नए फंड में जमा किया जाएगा। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के पास भी एक मजबूत सॉवरेन वेल्थ फंड होना चाहिए, जैसा कि कई अन्य देशों के पास पहले से है।
ट्रंप ने उदाहरण देते हुए कहा कि सऊदी अरब का पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) दुनियाभर में अपनी हिस्सेदारी बना चुका है। अगर अमेरिका इस रणनीति को अपनाता है, तो यह न केवल सऊदी अरब के फंड से बड़ा होगा, बल्कि यह दुनिया के सबसे ताकतवर फंड्स में शामिल हो जाएगा।
ट्रंप ने अपने प्रशासन के वित्तीय अधिकारियों को इस फंड की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए हैं, और कहा है कि अगले 90 दिनों में इस पर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। Treasury Secretary स्कॉट बेसेंट और Commerce Secretary, हॉवर्ड लुटनिक को इस फंड को शुरू करने का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अगले 12 महीनों में इस फंड को लॉन्च कर सकता है, और इसे बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा।
TikTok को 75 दिनों का अल्टीमेटम क्यों मिला, और क्या इससे चीन को बड़ा झटका लगेगा?
अमेरिका में TikTok को पहले ही National Security के लिए खतरा बताया जा चुका है। इसकी पेरेंट कंपनी ByteDance चीन की एक टेक्नोलॉजी दिग्गज कंपनी है, और अमेरिका को यह डर है कि इसका डेटा चीन सरकार के साथ साझा किया जा सकता है।
पहले, अमेरिका में टिकटॉक को पूरी तरह बैन करने का कानून पारित किया गया था, जिसके तहत 19 जनवरी को इसे अमेरिका में बंद कर दिया गया। लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद इस फैसले में बदलाव किया और टिकटॉक को 75 दिनों का समय दिया।
अब ट्रंप प्रशासन ने TikTok से कहा है कि अगर उसे अमेरिका में अपने ऑपरेशन जारी रखने हैं, तो उसे किसी अमेरिकी कंपनी को बेचना होगा। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि कई अमेरिकी कंपनियां टिकटॉक को खरीदने के लिए तैयार हैं। लेकिन उनका यह भी कहना है कि अमेरिका को इस ऐप पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए, और TikTok का कम से कम 50% मालिकाना हक अमेरिका के पास होना चाहिए।
इसके अलावा, ट्रंप ने पहले भी संकेत दिए थे कि वह चाहते हैं कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क या, ओरेकल के चेयरमैन लैरी एलिसन टिकटॉक को खरीदें। एलन मस्क, जो कि दुनिया के सबसे बड़े टेक इन्वेस्टर्स में से एक हैं, अगर TikTok को खरीदते हैं, तो यह सोशल मीडिया और डिजिटल इकोनॉमी के लिए एक बहुत बड़ा बदलाव होगा। दूसरी ओर, ओरेकल पहले भी टिकटॉक को खरीदने के लिए बातचीत कर चुकी है। ट्रंप के इस बयान के बाद संभावना है कि जल्द ही कोई बड़ी अमेरिकी कंपनी टिकटॉक के acquisition की घोषणा कर सकती है।
क्या TikTok पर प्रतिबंध या Ownership change चीन के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित होगा?
अगर अमेरिका ट्रंप के इस नए प्लान को पूरी तरह लागू करता है और कोई अमेरिकी कंपनी TikTok का acquisition कर लेती है, तो इससे चीन को दो बड़े झटके लग सकते हैं। पहला झटका यह होगा कि चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस अपनी सबसे बड़ी और सबसे लाभदायक संपत्ति को खो देगी।
दूसरा बड़ा झटका यह होगा कि अमेरिका इस मॉडल को अन्य चीनी कंपनियों के खिलाफ भी इस्तेमाल कर सकता है। अगर ट्रंप की यह रणनीति कामयाब होती है, तो अमेरिका आगे चलकर चीन की अन्य टेक कंपनियों जैसे We Chat, Huawei और Alibaba पर भी इसी तरह का दबाव बना सकता है।
इसके अलावा, ट्रंप ने इस executive Order में साफ किया है कि TikTok सिर्फ एक उदाहरण है। अमेरिका कई अन्य कंपनियों के लिए भी सॉवरेन वेल्थ फंड का उपयोग कर सकता है। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो दुनिया के अन्य देश भी इस रणनीति को अपना सकते हैं। इससे आने वाले समय में तकनीकी और वित्तीय नियंत्रण को लेकर देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और बढ़ सकती है।
Conclusion
तो दोस्तों, डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार सिर्फ एक ऐप के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका की पूरी आर्थिक और तकनीकी नीति में बड़ा बदलाव करने की शुरुआत कर दी है। अगर यह योजना सफल होती है, तो अमेरिका सिर्फ TikTok ही नहीं, बल्कि कई और कंपनियों को इसी तरह acquisition कर सकता है और उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अमेरिका इस फैसले को पूरी तरह लागू कर पाता है? क्या कोई बड़ी अमेरिकी कंपनी TikTok को खरीदने के लिए आगे आएगी? और क्या चीन इस पर कोई प्रतिक्रिया देगा? एक बात तो तय है – टिकटॉक की यह जंग सिर्फ एक ऐप को बचाने की नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति संतुलन की सबसे बड़ी लड़ाई बन चुकी है!
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