नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि एक ऐसा चिन्ह, जिसे हर भारतीय अपनी जेब में रखता है, हर लेन-देन में उसका इस्तेमाल करता है, और हर बैंक नोट पर उसे देखता है — वो चिन्ह एक साधारण व्यक्ति ने बनाया है। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि भारतीय रुपये का प्रतीक चिन्ह, जो आज पूरी दुनिया में भारत की पहचान बन चुका है, उसके पीछे की रचनात्मकता एक ऐसे शख्स की है, जिसका नाम ज्यादातर लोग नहीं जानते? रुपये के इस चिन्ह ने भारत की अर्थव्यवस्था और पहचान को global platform पर स्थापित किया है।
लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस चिन्ह को डिज़ाइन करने वाला व्यक्ति कौन था? कैसे उसने हजारों डिजाइनों में से अपने डिज़ाइन को इतना खास बनाया कि भारत सरकार ने उसे, पूरे देश के आधिकारिक मुद्रा चिन्ह के रूप में स्वीकार किया? और क्या आप जानते हैं कि इस ऐतिहासिक डिज़ाइन के लिए उसे कितनी रकम मिली थी? यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने अपनी रचनात्मकता और मेहनत से इतिहास रच दिया। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
भारत के आधिकारिक रुपये के चिन्ह को डिजाइन करने वाले doctor डी Uday Kumar , तमिलनाडु सरकार के फैसले के बाद चर्चा में हैं। तमिलनाडु सरकार ने 2025 के बजट से भारतीय रुपये के चिन्ह को हटाकर तमिल लिपि वाले नए लोगो को अपनाने का निर्णय लिया है। यह कहानी है doctor डी Uday Kumar की, जिन्होंने भारतीय रुपये के चिन्ह को डिज़ाइन किया और भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई पहचान दी। यह कहानी एक साधारण परिवार से शुरू होती है।
doctor उदय कुमार का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुआ था। उनका परिवार एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ था। उनके पिता एन धर्मलिंगम द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के बड़े नेता थे और दो बार विधायक भी रह चुके थे।
लेकिन उदय कुमार की रुचि राजनीति में कभी नहीं थी। बचपन से ही उनका झुकाव कला और रचनात्मकता की ओर था। जब उनके दोस्त क्रिकेट खेलते थे, तब उदय कुमार कागज पर नई-नई आकृतियां और डिज़ाइन बनाने में जुटे रहते थे। उन्हें अक्षरों और प्रतीकों के डिज़ाइन को देखने और समझने का शौक था। वह हमेशा इस बात को लेकर उत्सुक रहते थे कि किसी भी चीज़ को डिज़ाइन करने के पीछे का विचार क्या होता है। उनके इस रचनात्मक स्वभाव को उनके परिवार ने भी प्रोत्साहन दिया। उदय के माता-पिता ने उनकी इस कला को समझा और उन्हें हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उदय कुमार ने अपनी शुरुआती पढ़ाई तमिलनाडु के एक स्थानीय स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), बॉम्बे के इंडस्ट्रियल डिज़ाइन सेंटर से ग्राफिक डिज़ाइन और टाइपोग्राफी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। टाइपोग्राफी यानी अक्षरों के डिज़ाइन और उनके आकार को लेकर उदय कुमार की समझ गहरी थी। उन्हें भारतीय भाषाओं की लिपियों और उनके डिज़ाइन से गहरा लगाव था।
वह हमेशा इस बात पर रिसर्च करते थे कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को global level पर कैसे प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपराओं और अक्षरों के महत्व को गहराई से समझा और उनके डिज़ाइन में इसे शामिल करने का प्रयास किया। उनके प्रोफेसर्स भी उनकी इस प्रतिभा से प्रभावित थे और उन्होंने उदय कुमार को डिज़ाइन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
साल 2010 में भारत सरकार ने भारतीय रुपये के लिए एक आधिकारिक प्रतीक चिन्ह बनाने का निर्णय लिया। इससे पहले भारतीय मुद्रा का कोई विशेष प्रतीक नहीं था। डॉलर , यूरो और पाउंड की तरह भारत के रुपये का भी एक अलग Global प्रतीक होना जरूरी था। सरकार ने इस प्रतीक को डिज़ाइन करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन किया।
इस प्रतियोगिता में पूरे देश से करीब 3,000 से ज्यादा डिज़ाइनर्स ने भाग लिया। प्रतियोगिता के नियमों के मुताबिक, डिज़ाइन को भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करना था। सरकार चाहती थी कि डिज़ाइन ऐसा हो, जो भारतीय पहचान और Global प्रतिष्ठा को एक साथ प्रस्तुत करे।
उदय कुमार ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने एक ऐसा डिज़ाइन तैयार किया, जो भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण था। उनके डिज़ाइन में रोमन अक्षर “R” और देवनागरी लिपि के “र” का संयोजन था। रोमन “R” का मतलब रुपया और अंतरराष्ट्रीय पहचान से जुड़ा था, जबकि देवनागरी का “र” भारत की सांस्कृतिक पहचान को दर्शा रहा था।
इसके अलावा, इस चिन्ह के ऊपर दो समानांतर रेखाएं थीं, जो भारतीय तिरंगे के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत की गई थीं। इन रेखाओं ने (Equality) के प्रतीक का भी प्रतिनिधित्व किया। यह डिज़ाइन भारतीय परंपरा और आधुनिकता का एक संतुलित मिश्रण था।
जब प्रतियोगिता के नतीजे घोषित हुए, तो उदय कुमार का डिज़ाइन भारत सरकार द्वारा चुना गया। हजारों डिज़ाइनों में से उदय कुमार के डिज़ाइन को सर्वश्रेष्ठ माना गया। 15 जुलाई 2010 को भारतीय रुपये के इस आधिकारिक चिन्ह को मंजूरी दी गई।
उदय कुमार को इस ऐतिहासिक डिज़ाइन के लिए 2.5 लाख रुपये का इनाम दिया गया। यह रकम उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी थी, लेकिन यह रकम उस पहचान के सामने कुछ भी नहीं थी, जो इस डिज़ाइन ने उदय कुमार को दिलाई। इस डिज़ाइन ने न सिर्फ उदय कुमार को एक राष्ट्रीय पहचान दी, बल्कि भारत को भी एक Global पहचान दी।
रुपये का यह चिन्ह आज भारत के हर बैंक नोट, डिजिटल पेमेंट ऐप, और Financial institutions में देखा जा सकता है। हर बार जब कोई भारतीय इस चिन्ह का इस्तेमाल करता है, तो वह उदय कुमार की रचनात्मकता और उनकी सोच का सम्मान करता है। उदय कुमार ने इस डिज़ाइन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक पहचान को एक साथ प्रस्तुत किया। इस चिन्ह ने भारतीय अर्थव्यवस्था की पहचान को global platform पर स्थापित किया।
उदय कुमार की सफलता की कहानी सिर्फ रुपये के चिन्ह तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपनी सफलता के बाद डिजाइन और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देना जारी रखा। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) हैदराबाद के लिए आधिकारिक लोगो तैयार किया।
इसके अलावा, उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के लिए भी लोगो तैयार किया, जो आज देश के हर सरकारी परीक्षा में देखा जाता है। उदय कुमार ने भारतीय भाषाओं और लिपियों के डिज़ाइन को भी नया रूप दिया। उन्होंने तमिल लिपि के लिए एक नया फॉन्ट डिजाइन किया, जो तमिल साहित्य और डिज़ाइन समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ।
साल 2019 में उदय कुमार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) गुवाहाटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम शुरू किया। वहां वे टाइपोग्राफी और ग्राफिक डिजाइनिंग के क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं। उदय कुमार का मानना है कि डिज़ाइन केवल सौंदर्य की चीज़ नहीं होती, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक होता है। उन्होंने डिज़ाइन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को न सिर्फ जीवित रखा, बल्कि उसे आधुनिक रूप भी दिया।
उदय कुमार की यह कहानी इस बात का सबूत है कि अगर आपके पास हुनर और जुनून है, तो आप असंभव को भी संभव बना सकते हैं। उन्होंने अपनी कला, अपनी सोच और अपनी मेहनत के दम पर भारत की अर्थव्यवस्था की पहचान को नए रूप में प्रस्तुत किया।
आज जब भी कोई भारतीय रुपये के चिन्ह को देखता है, तो वह सिर्फ एक मुद्रा का चिन्ह नहीं देखता, बल्कि वह भारत की पहचान को देखता है। उदय कुमार ने साबित कर दिया कि रचनात्मकता और Innovation की ताकत से दुनिया को बदला जा सकता है। उन्होंने यह दिखाया कि अगर आपके पास एक विजन है, तो आप दुनिया के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं। उदय कुमार की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपनी सोच और अपनी रचनात्मकता से कुछ बड़ा करना चाहता है।
Conclusion
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