United Nations में भारत की बड़ी जीत! जलवायु परिवर्तन पर मिली वैश्विक सराहना! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि Climate change को लेकर पूरी दुनिया में हो रही चर्चाओं के बीच भारत को एक बड़ा लीडर क्यों माना जा रहा है? क्यों United Nations के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि “कुछ देश सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन भारत काम करके दिखाता है?” क्या भारत वास्तव में Climate change से निपटने के लिए कोई क्रांति कर रहा है, या यह केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक हिस्सा है?

आज दुनिया भर में clean energy और Climate change को लेकर तमाम वादे किए जाते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ वादे करने से कुछ नहीं होता – हकीकत में बदलाव लाने के लिए काम करना पड़ता है। साइमन स्टील का यह बयान केवल भारत की तारीफ नहीं, बल्कि दुनिया के बाकी देशों के लिए एक संदेश भी है कि अगर आप Climate change से लड़ना चाहते हैं, तो भारत की तरह वास्तविक काम करें।

भारत ने कैसे Solar Energy में दुनिया को पछाड़ दिया? क्यों भारत को “सोलर सुपरपावर” कहा जा रहा है? क्या भारत आने वाले वर्षों में Climate change के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत बन सकता है? इन सभी सवालों के जवाब हम इस वीडियो में विस्तार से जानेंगे।

भारत “सोलर सुपरपावर” कैसे बना, और इसकी सफलता के पीछे क्या कारण हैं?

साइमन स्टील ने भारत की Solar Energy के क्षेत्र में उपलब्धियों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत उन चार देशों में शामिल है, जो 100 गीगावाट से अधिक Solar Energy का उत्पादन कर रहे हैं। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि कुछ साल पहले तक भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा कोयले और अन्य पारंपरिक स्रोतों से पूरा होता था।

भारत सरकार ने “राष्ट्रीय सौर मिशन” और “अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस” जैसी योजनाओं के जरिए देश में Solar Energy को तेजी से बढ़ावा दिया है। आज भारत के लाखों गांवों में Solar Energy की मदद से बिजली पहुंचाई जा रही है। जहां कभी अंधेरे में रातें गुजारनी पड़ती थीं, वहां आज सोलर पैनल की रोशनी से घर और खेत जगमग कर रहे हैं।

सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% Renewable Energy से आए। अगर भारत अपने इस लक्ष्य में सफल होता है, तो यह दुनिया के सबसे बड़े ग्रीन एनर्जी प्रोड्यूसर में से एक बन जाएगा।

हालांकि, साइमन स्टील ने यह भी कहा कि भारत को अब सिर्फ Solar Energy पर ही नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को Green Economy बनाने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी। उन्होंने भारत से अनुरोध किया कि वह 2031 से 2035 की अवधि के लिए अपने Nationally Determined Contribution (NDC) या जलवायु योजनाओं को प्रस्तुत करे।

इसका मतलब यह है कि भारत को अब केवल बिजली उत्पादन को ग्रीन एनर्जी पर शिफ्ट करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि पूरे उद्योग और परिवहन सेक्टर को भी कार्बन-न्यूट्रल बनाने पर जोर देना चाहिए। भारत की आर्थिक वृद्धि को Clean & Green Energy के साथ जोड़ना जरूरी है। अगर ऐसा हुआ, तो भारत न केवल पर्यावरण को बचाने में सबसे आगे रहेगा, बल्कि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी बन सकता है।

क्या भारत इतना बड़ा बदलाव करने के लिए तैयार है?

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सौर और पवन ऊर्जा में बड़े पैमाने पर Investment किया है। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को भी बढ़ावा देना शुरू कर दिया है और आने वाले सालों में, डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को धीरे-धीरे कम करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, भारत ग्रीन हाइड्रोजन जैसे नए और clean energy स्रोतों को अपनाने के लिए भी तेजी से काम कर रहा है।

सरकार ने “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” की घोषणा की है, जिसके तहत भारत अपने उद्योगों को हाइड्रोजन आधारित ईंधन की ओर शिफ्ट करने की योजना बना रहा है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं। भारत को अपनी कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता को धीरे-धीरे कम करना होगा, और रिन्यूएबल एनर्जी को और तेजी से अपनाना होगा। अगर सरकार इन चुनौतियों का समाधान कर पाती है, तो भारत वास्तव में Climate change की लड़ाई में सबसे आगे खड़ा देश बन सकता है।

Climate Change से निपटने में भारत का क्या योगदान है, और उसकी रणनीति क्या है?

भारत ने Climate change से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कई अहम पहल की हैं, और यह उन कुछ देशों में शामिल है जो न केवल Climate change पर गंभीरता से चर्चा कर रहे हैं, बल्कि ठोस कदम भी उठा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक Paris Climate Agreement, 2015 में भारत की सक्रिय भूमिका रही है। इस समझौते के तहत भारत ने अपने Greenhouse gas emissions को कम करने, और 2050 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने के लिए ठोस रणनीतियां अपनाने का संकल्प लिया है। भारत इस समझौते का हिस्सा बनने वाले प्रमुख देशों में से एक है और अपने वादों को निभाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

इसके अलावा, भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर International Solar Alliance – ISA की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में Solar Energy को बढ़ावा देना है। आज इस संगठन में 100 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं, जो Solar Energy के उपयोग को बढ़ाने और इसके लागत को कम करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत ने खुद भी अपने देश में Solar Energy को प्राथमिकता दी है और बड़े पैमाने पर सोलर पार्क और रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए हैं।

भारत की Climate change से लड़ने की एक और महत्वपूर्ण रणनीति ग्रीन हाइड्रोजन मिशन है, जिसके तहत देश तेजी से हाइड्रोजन ईंधन को भविष्य के clean energy स्रोत के रूप में विकसित कर रहा है। यह पहल विशेष रूप से भारी उद्योगों और परिवहन क्षेत्र में Carbon Emissions को कम करने के लिए बनाई गई है, जिससे भारत दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादकों में से एक बन सकता है। सरकार इस मिशन के तहत अरबों रुपये का Investment कर रही है, जिससे भारत कोयले और पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता कम कर सके।

इसके अलावा, भारत ने वनों के Protection और Afforestation को बढ़ावा देने के लिए भी बड़े कदम उठाए हैं। सरकार अगले कुछ वर्षों में 10 बिलियन से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, ताकि वायुमंडल में मौजूद अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को Absorbed किया जा सके और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखा जा सके। विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि Biodiversity को भी संरक्षित किया जा सकेगा।

भारत के इन सभी प्रयासों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत सिर्फ “Climate change” पर बात नहीं कर रहा, बल्कि वास्तविक रूप से उन परियोजनाओं पर Investment कर रहा है, जो इसे एक “ग्रीन सुपरपावर” बनने की दिशा में आगे ले जा सकती हैं। इसीलिए United Nations के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि “कुछ देश सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन भारत काम करके दिखाता है।” भारत की यही कार्यशैली इसे दुनिया के बाकी देशों के लिए एक आदर्श बनाती है और अगर यह गति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में भारत Climate change की लड़ाई में सबसे आगे खड़ा देश होगा।

बाकी देश, भारत से क्या सीख सकते हैं?

साइमन स्टील का बयान सिर्फ भारत की तारीफ तक सीमित नहीं था, बल्कि यह बाकी देशों के लिए एक सीख भी है। उन्होंने यह साफ कहा कि कुछ देश सिर्फ बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन भारत उन वादों को पूरा करने के लिए काम कर रहा है। अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों ने Climate change पर कई बड़े वादे किए हैं, लेकिन वे इन्हें पूरा करने में अक्सर असफल रहे हैं।

वहीं, भारत ने बिना किसी बड़े दावे के, वास्तविक बदलाव लाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि दुनिया को सिर्फ बातें करने वाले नेताओं की नहीं, बल्कि भारत जैसे “काम करने वाले देशों” की जरूरत है।

Conclusion

तो दोस्तों, भारत ने दिखा दिया है कि जब Climate change की बात आती है, तो वह सिर्फ बातें नहीं करता, बल्कि काम करके दिखाता है। अब सवाल यह है कि क्या भारत अपनी इस गति को बनाए रख पाएगा? क्या भारत आने वाले दशकों में “ग्रीन सुपरपावर” बन सकता है? आपका इस बारे में क्या सोचना है? क्या भारत दुनिया के लिए एक उदाहरण बन सकता है? अपनी राय हमें कमेंट जरूर करें !

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