Viraj Bahl: शार्क टैंक इंडिया 4 के जज, जिन्होंने कर्मचारियों को दिया 40 घंटे काम का तोहफा!

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, आप एक कंपनी में काम कर रहे हैं, जहाँ आपको हर दिन देर रात तक ऑफिस में रुकना पड़ता है। वीकेंड भी सिर्फ नाम के लिए होता है, और बॉस उम्मीद करता है कि आप हर समय अपने काम में डूबे रहें। अब एक और सीन देखें—एक ऐसी कंपनी जहाँ आपको हर हफ्ते सिर्फ 40 घंटे काम करना पड़ता है, और बाकी समय आप अपने परिवार, दोस्तों और अपने शौक के लिए निकाल सकते हैं।

यकीन मानिए, ऐसी कंपनियाँ आज भी हैं, और इसे संभव बनाया है Viraj Bahl ने, जो शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 के नए जज भी हैं। उन्होंने अपने कर्मचारियों को सिर्फ 40 घंटे काम करने की छूट दी है, जिससे वह भारत के कॉर्पोरेट कल्चर में एक नई सोच लेकर आए हैं। लेकिन, आखिर यह Viraj Bahl हैं कौन? क्या उनके इस फैसले से दूसरे बिजनेस लीडर्स कुछ सीखेंगे? और क्या भारत में कंपनियों का वर्क कल्चर अब बदलने वाला है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

वीबा के फाउंडर Viraj Bahl कौन हैं, और कैसे वे नई सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं?

Viraj Bahl भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक नया लेकिन दमदार नाम हैं। उन्होंने 2013 में वीबा की स्थापना की, जो आज भारत की सबसे बड़ी सॉस और मेयोनीज़ कंपनियों में से एक है। उनकी कंपनी नॉन-केचप सॉस और डिप्स मार्केट में 50% से अधिक की हिस्सेदारी रखती है, और यह लगातार अपने प्रोडक्ट्स का विस्तार कर रही है।

लेकिन, उनके बिजनेस आइडिया से ज्यादा चर्चा में आया है उनका अनोखा वर्क कल्चर। Viraj Bahl ने हाल ही में कहा कि “लंबे समय तक काम करना अब पुरानी सोच हो गई है। एक कर्मचारी को सिर्फ उतना ही काम करना चाहिए, जितना उसके लिए सही हो।” उन्होंने उन बिजनेस लीडर्स की सोच को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जो यह मानते हैं कि “भारत को आगे बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को हर हफ्ते 70 से 90 घंटे तक काम करना चाहिए।”

आपको बता दें कि आजकल दुनिया में कई बड़े बिजनेस लीडर्स कर्मचारियों से लंबे घंटों तक काम करवाने की वकालत करते हैं। इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने कहा था कि “भारत को विकसित बनाने के लिए युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए।

” इससे भी आगे बढ़ते हुए L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम ने 90 घंटे काम करने की सलाह दे दी। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि “कोई आदमी अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकता है? काम करना ज्यादा जरूरी है!”

Viraj Bahl की सोच इससे पूरी तरह अलग है। उन्होंने कहा कि “काम के लंबे घंटे सिर्फ फाउंडर्स और एंटरप्रेन्योर्स के लिए सही हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें सफलता का सीधा फायदा मिलता है। लेकिन कर्मचारियों से बिना अतिरिक्त मुआवजे के देर तक काम करवाना गलत है।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि “एक बार जब कंपनी स्थिर हो जाए, तो लीडर्स को सिर्फ मेहनत करने से आगे बढ़कर सोचने की जरूरत होती है।”

लंबे समय तक काम करना सही है?

काम के घंटे कितने होने चाहिए, यह बहस आज सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चल रही है। यूरोप में कई कंपनियाँ “4 दिन के वर्क वीक” की ओर बढ़ रही हैं, जहाँ कर्मचारियों को सिर्फ 32 घंटे काम करना पड़ता है। वहीं, जापान और चीन में “996 वर्क कल्चर” (सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

Viraj Bahl ने यह साफ कर दिया है कि “लंबे समय तक काम करने से ज्यादा जरूरी है कि आप प्रोडक्टिव और इनोवेटिव हों।” उन्होंने कहा कि “कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को खुश और संतुष्ट रखना जरूरी है, ना कि उन्हें काम के बोझ तले दबाकर उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब कर देना।”

इसके साथ ही आपको बता दें कि आज वीबा एक 1000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्रांड बन चुका है, लेकिन इसे खड़ा करने के लिए Viraj Bahl को अपना घर तक बेचना पड़ा था। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने सॉस और मेयोनीज़ बनाने का बिजनेस शुरू करने का सोचा, तो उनके पास पर्याप्त फंड नहीं था।

तब उन्होंने अपनी पत्नी से बात की और कहा कि हमें अपना घर बेचना पड़ेगा। उनकी पत्नी ने बिना कोई देर किए इस पर हामी भर दी, और यही उनके सफर की सबसे बड़ी शुरुआत थी। आज, यह कंपनी देशभर के सुपरमार्केट्स, फूड चेन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर नंबर वन ब्रांड्स में से एक बन चुकी है।

इसके अलावा, 2013 में शुरू हुई वीबा आज 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कंपनी बन चुकी है। यह कंपनी सिक्स्थ सेंस वेंचर्स, वर्लिनवेस्ट, सामा कैपिटल और डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर्स जैसे बड़े Investors से फंडिंग पा चुकी है।

वीबा की खासियत यह है कि यह केवल टमाटर केचप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पास मेयोनीज़, चिली सॉस, बार्बेक्यू सॉस और अन्य 50 से अधिक फ्लेवर्स की एक बड़ी रेंज है। हाल ही में, इसने अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए WokTok इंस्टेंट नूडल्स लॉन्च किए, जिससे यह साफ हो गया कि वीबा अब फूड इंडस्ट्री में और भी बड़े कदम उठाने वाली है।

Viraj Bahl शार्क टैंक इंडिया 4 में नई एंट्री के रूप में नजर आएंगे?

अब, Viraj Bahl की पहचान सिर्फ एक सफल एंटरप्रेन्योर के रूप में नहीं, बल्कि शार्क टैंक इंडिया 4 के जज के रूप में भी होने वाली है। शार्क टैंक इंडिया के पिछले तीन सीज़न में अमन गुप्ता, अशनीर ग्रोवर, अनुपम मित्तल, विनीता सिंह, और कई अन्य बड़े बिजनेस लीडर्स ने जज के रूप में हिस्सा लिया था।

इस बार, Viraj Bahl भी इस शो का हिस्सा होंगे और नए स्टार्टअप्स को गाइड करेंगे। उनकी कहानी हर उस युवा एंटरप्रेन्योर के लिए प्रेरणा है, जो एक नया बिजनेस शुरू करना चाहता है लेकिन संसाधनों की कमी के कारण डरता है।

इसके अलावा, Viraj Bahl का 40 घंटे वर्क कल्चर भारत में कई कंपनियों के लिए एक मिसाल बन सकता है। हालांकि, अभी भी ज्यादातर कंपनियाँ लंबे समय तक काम करवाने की प्रवृत्ति पर चल रही हैं। लेकिन, जिस तरह से भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित हो रहा है और नई पीढ़ी के लीडर्स काम की गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रहे हैं, यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में भारत में भी कर्मचारियों को बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस मिल सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, Viraj Bahl की कहानी यह साबित करती है कि सिर्फ मेहनत करना ही सफलता की कुंजी नहीं है, बल्कि सही रणनीति, संतुलन और कर्मचारियों का सम्मान भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने यह दिखाया कि एक बिजनेस लीडर को सिर्फ मुनाफे पर ही नहीं, बल्कि अपनी टीम की भलाई पर भी ध्यान देना चाहिए। अब सवाल यह है कि क्या भारतीय कंपनियाँ भी इस बदलाव को अपनाएंगी? क्या 40 घंटे का वर्क वीक भारत में भी एक नया ट्रेंड बन सकता है? क्या आपको भी वर्क-लाइफ बैलेंस जरूरी लगता है? कमेंट में अपनी राय दें!

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